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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश 289 जनक जी के जिस धनुष को कोई राजा झुका भी न सका, उसी को तूने तोड़ डाला। 3. विदेहाधिपति :-राजा जनक। बभौ तमनुगच्छन्ती विदेहाधिपतेः सुता। 12/26 फिर भी उनके पीछे-पीछे चलने वाली जनक की पुत्री सीता। य यन्ता (यंता) 1. नियंता :-(पुं०) [नि + यम् + तृच्] सारथि, चालक। न व्यतीयुः प्रजास्तस्य नियन्तुर्नेमिवृत्तयः। 1/17 प्रजा का कोई भी व्यक्ति मनु के बताए हुए नियमों से बहक कर चलने का साहस नहीं कर सकता था। शीर्षच्छेद्यं परिच्छद्य नियन्ता शस्त्रमाददे। 15/51 इसलिए राम ने निश्चय कर लिया कि इसका वध करना ही होगा, उन्होंने हाथ में शस्त्र उठा लिया। 2. यंता :-(पुं०) [यम् + तृच्] सारथि, चालक। अथ यन्तारमादिश्य धुर्यान्विश्रामयेति सः। 1/54 तब राजा दिलीप ने अपने सारथी को आज्ञा दी कि घोड़ों को ठंडा करो। अंकुशं द्विरदस्येव यन्ता गम्भीरवेदिनः। 4/39 जैसे मतवाले हाथी के माथे में हाथीवान अंकुश गड़ाता है। यन्ता गजस्याभ्यपतद्गजस्थं तुल्य प्रति द्वन्द्वि बभूव युद्धम्। 7/37 हाथी-सवार, हाथी-सवारों पर टूट पड़े, इस प्रकार बराबर जोर की लड़ाई होने लगी। प्रहार मूछपगमे स्थस्था यन्तृनुपालभ्य निवर्तिताश्वान्। 7/44 जो योद्धा चोट लगने से मूर्छित हो गए थे उनको उनके सारथी रथ पर डालकर लौटा लाए। 3. रथयुज :-[रम्यतेऽनेन अत्र वा :-रम् + कथन्+युजः] सारथि । जिगमिषुर्धनपाध्युषितां दिशं रथयुजा परिवर्तित वाहनः। 9/25 सूर्य भी उत्तर की ओर घूम जाना चाहते थे, इसलिए उनके सारथी अरुण ने घोड़ों की रास उधर ही मोड़ दी। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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