SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 302
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org 290 कालिदास पर्याय कोश 4. सारथी : - [ सृ + अथिण् सह रथेन सरथः घोटकः तत्र नियुक्तः इञ् वा] रथवान, सारथि । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स शापो न त्वया राजन्न च सारथिना श्रुतः । 1/78 इसलिए उस शाप को न तो तुम ही सुन पाए, न तुम्हारा सारथी ही । विभवसुः सारथिनेव वायुना घन व्यपायेन गभस्तिमानिव । 3 / 37 जैसे वायु की सहायता से अग्नि, शरद ऋतु के खुले हुए आकाश को पाकर सूर्य प्रचंड हो जाता है। 5. सूत :- [ सू + क्त] रथवान्, सारथि । पुनः पुनः सूतनिषिद्ध चापलं हरन्तमश्वं रथरश्मि संयतम् । 3/42 वह घोड़ा भी उनके रथ के पीछे बँधा हुआ, तुड़ाकर भागने का यत्न कर रहा है, जिसे इन्द्र का सारथी बार-बार सँभालने का यत्न कर रहा है। अनयोन्य सूतोन्मथनाद भूतां तावेव सूतौ रथिनौ च कौचित् । 7/52 दो योद्धाओं के सारथी मारे जा चुके थे, इसलिए वे अपना रथ भी चला रहे थे और लड़ भी रहे थे। यम 1. जीवितेश :- [ जीव् + क्त + ईशः ] यम का विशेषण, यम । गंधवदुधिरचन्दनोक्षिता जीवितेशवसतिं जगाम सा । 11/20 दुर्गन्ध भरे रुधिर से लिपटी हुई ताड़का इस प्रकार सीधे यमलोक चली गई, मानो कोई अभिसारिका चन्दन का लेप करके अपने प्रिय के घर जा रही हो । 2. यम : - [ यम + घञ] मृत्यु का देवता, यम । अनुययौ यमपुण्यजनेश्वरौ सवरुणावरुणाग्रसरं रुचा । 9/6 जैसे यम सबको एक समान समझते हैं, वैसे ही वे भी सबसे एक सा व्यवहार करते थे, जैसे वरुण दुष्टों को दंड देते हैं, वैसे ही वे भी दुष्टों को दंड देते थे । यमकुबेरजलेश्वरवज्रिणां समधुरं मधुरञ्चितविक्रमम् । 9/24 यम, कुबेर, वरुण और इन्द्र के समान पराक्रमी उन राजा का अभिनंदन करने के लिए वसंत ऋतु भी। इन्द्राद्वृष्टिर्नियमितगदोद्रेकवृत्तिर्यमोऽभूद्यादो नाद्यः शिवजलपथः कर्मणे नौचराणाम्। 17/81 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy