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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश 181 पिता के आँसुओं से दोनों राजकुमारों की चोटियाँ भीग गईं। पूर्ववृत्त कथितैः पुराविदः सानुजः पितृसखस्य राघवः। 11/10 क्योंकि उनके पिता के मित्र विश्वामित्र जी उन्हें मार्ग में पुरानी कथाएँ सुनाते ले जा रहे थे। येन रोषपरुषात्मनः पितुः शासने स्थिति भिदोऽपि तस्थुषा। 11/45 उन्होंने जिस समय क्रोध से कठोर हृदय वाले और उचित-अनुचित का विचार छोड़ देने वाले अपने पिता की आज्ञा मानकर। तं पितुर्वधभवेन मन्युना राजवंशनिधनाय दीक्षितम्। 11/67 जब दशरथ जी ने उन परशुराम को देखा, जिन्होंने अपने पिता के मारे जाने पर क्रोध से क्षत्रियों का नाश करने की प्रतिज्ञा कर ली थी। तस्मिन्गते विजयिनं परिरभ्य रामस्नेहादमन्यत पितापुनरेव जातम्। 11/92 उनके चले जाने पर विजयी राम को पिता राजा दशरथ ने गले से लगा लिया और वे स्नेह में भरकर यह समझने लगे कि राम का दूसरा जन्म हुआ है। पित्रा दत्तां रुदनरामः प्रांगमही प्रत्यपद्यत। 12/7 जब पिता राम को राजगद्दी दे रहे थे, उस समय राम ने आँखों में आँसू भरकर उसे स्वीकार किया था। श्रुत्वातथाविधं मृत्यु कैकयी तनयः पितुः। 12/13 जब भरत जी को अपने पिता की मृत्यु का सब समाचार मिला। बाष्पायमाणो बलिमन्निकेत मालेख्य शेषस्य पितुर्विवेश। 14/15 तब वे अपने पिताजी के पूजा घर में गए, वहाँ दशरथ जी का अकेला चित्र देखकर राम की आँखों में आँसू आ गए। पितुर्नियोगाद्वनवासमेवं निस्तीर्य रामः प्रतिपन्न राज्यः। 14/21 इस प्रकार पिता की आज्ञा से वनवास की अवधि बिताकर, राम ने अपने पिता का राज्य फिर से पाया। तेनास लोकः पितृमान्विनेत्रा तेनैव शोकापनुदेन पुत्री। 14/23 वे सबको ठीक मार्ग पर ले चलते थे, इसलिए सब उन्हें पिता के समान मानते थे और विपत्ति पड़ने पर वे सबकी सहायता करते थे, इसलिए वे प्रजा के पुत्र भी थे। त्यश्यामि वैदेहसतां परस्तासमटनेमिं पितराजयेव। 14/39 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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