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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 142 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दृष्ट सारमथ रुद्रकार्मुके वीर्यशुल्कमभिनन्द्य मैथिलः । 11 /47 राजा जनक ने जब देखा कि शिवजी का धनुष तोड़कर राम ने अपना पराक्रम दिखला दिया, तब उन्होंने राम का बड़ा आदर किया। कालिदास पर्याय कोश तेन कार्मुकनिषक्त मुष्टिना राघवो विगतभीः पुरोगता: । 11 /70 युद्ध के लिए उद्यत और मुट्ठी में धनुष पकड़कर अपने आगे निडर खड़े राम से कहा । तेन भूमिनिहितैककोटि तत्कार्मुकं च बलिनाधिरोपितम् । 11 /81 पराक्रमी राम ने उस धनुष की एक छोर पृथ्वी पर टेककर जैसे ही उस पर डोरी चढ़ाई | यन्ताः हरे सपदि संहृतकार्मुकज्यामापृच्छय राघवमनुष्ठितदेवकार्यम् । 12/103 राम ने धनुष की डोरी उतार दी क्योंकि उन्होंने देवताओं का काम पूरा कर दिया था। 3. चाप :- [ चप् + अण् ] धनुष । स चापमुत्सृज्य विवृद्धमत्सरः प्रणाशनाय प्रबलस्य विद्विष: 13/60 उन्होंने धनुष को तो दूर फेंका और अपने प्रबल शत्रु रघु को मारने के लिए। स चापकोटीनिहितैकबाहुः शिरस्त्रनिष्कर्षण भिन्नमौलिः । 7/66 4. धनु : - [ धन्+उ] धनुष । अज ने अपना सिर का कूँड़ उतारा तो उनके बाल छितरा गए, धनुष के एक छोटे पर बाँह टेककर 1 क्रमशस्ते पुनस्तस्य चापात्सममिवोद्ययुः । 12/+7 अपने बाण एक-एक करके चलाए किंतु अत्यंत शीघ्रता से चलाए हुए वे बाण ऐसे जान पड़ते थे, मानो एक साथ धनुष से छूटे हों । For Private And Personal Use Only वार्षिकं संजहारेन्द्रो धनुर्जेत्रं रघुर्दधौ । 4/16 इन्द्र ने जब अपना वर्षा ऋतु वाला इन्द्रधनुष हटाया, तब रघु ने अपना विजयी धनुष हाथ में उठा लिया । ततो धनुष्कर्षण मूढहस्तमेकांसपर्यस्तशिरस्त्रजालम् । 7/62 अस्त्र छोड़ते ही उन राजाओं की सेना के हाथ ऐसे रुक गए कि वे अपने धनुष तक न खींच पाए। राघवावपि निनाय बिभ्रतौ तद्धनुः श्रवणजं कुतूहलम् । 11/32
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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