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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश धनुष यज्ञ की बात सुनकर दोनों राजकुमारों को बड़ा कुतूहल हुआ, इसलिए विश्वामित्र जी उन दोनों को लेकर । 143 स्वं विचिन्त्य च धनुर्दुरानमं पीडितो दुहितृ शुल्क संस्थया । 11/38 तब उन्हें इस बात का बड़ा पछतावा हुआ कि मैंने अपनी कन्या के विवाह के लिए, यह धनुष तोड़ने का अड़ंगा लगा क्यों दिया? तत्प्रसुप्त भुजगेन्द्र भीषणं वीक्ष्य दाशरथिराददे धनुः । 11 /44 वह धनुष ऐसा जान पड़ता था मानो कोई बड़ा भारी अजगर सोया हुआ हो, राम ने देखते-देखते शंकर जी के धनुष को उठा लिया। भज्यमानमतिमात्र कर्षणात्तेन वज्रपुरुष स्वनं धनुः । 11 /46 राम ने धनुष को इतना तान लिया कि वह वज्र के समान भयंकर शब्द करके कड़कड़ाता हुआ टूट गया । मैथिलस्य धनुरन्य पार्थिवैस्त्वं किलानमितपूर्वमक्षणोः । 11/72 जनकजी के जिस धनुष को कोई राजा झुका भी न सका, उसी को तूने तोड़ दिया । स नादं मेघनादस्य धनुश्चेन्द्रायुधप्रभम्। 12/79 वैसे ही लक्ष्मण भी मेघनाद के गर्जन को और इन्द्रधनुष के समान धनुष को क्षण भर में ले बीते । 5. धनुष : - [ धन्+उसि ] धनुष । शास्त्रेष्वकुठिता बुद्धिमौर्वी धनुषि चातता । 1/19 शास्त्रों का उन्हें बहुत अच्छा ज्ञान था और धनुष चलाने में वे एक ही थे । वे अपना सब काम अपनी तीखी बुद्धि और धनुष पर चढ़ी हुई डोरी इन दो से ही निकाल लेते थे । नवाम्बुदानीकमुहूर्तलांक्षने धनुष्यमोघं समधत्त सायकम् । 3/53 इन्द्र का वह धनुष इतना सुंदर था कि थोड़ी देर के लिए उसने नए बादलों में इन्द्र धनुष जैसे रंग भर दिए । For Private And Personal Use Only सशरवृष्टिमुचा धनुषा द्विषां स्वनवता नवतामरसाननः । 9/12 नए कमल के समान सुंदर मुख वाले दशरथ जी ने अपने बाण बरसाने वाले धनुष से शत्रुओं को मारकर बिछा दिया । निन्यतुः स्थल निवेशिताटनी लीलयैव धनुषी अधिज्यताम् । 11/14
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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