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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 138 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश उनके जितेन्द्रिय पुत्र इतना मधुर बोलते थे कि शत्रु भी उनका वैसे ही आदर करते थे जैसे मित्र | / 25 हो द्विषाम सह्यः सुतरां तरुणां हिरण्यरेता इव सानिलोऽभूत । 18 ऐसे पुत्र को पाकर विश्वसह शत्रुओं के लिए वैसे ही भयंकर की सहायता पाकर वृक्षों के लिए अग्नि भयंकर हो जाती है। भोक्तुमेव भुज निर्जित द्विषा न प्रसाधयितुमस्य कल्पिता । 19/3 इसलिए उन्हें तो केवल भोग करने के लिए ही राज्य मिला था, राज्य के शत्रुओं को मिटाने के लिए नहीं । . जैसे वायु गए, 4. पर : - [ पृ० + अपू, कर्तरि अच् वा] शत्रु, दुश्मन, रिपु । श्रुतस्य यायादयमंत मर्भकस्तथा परेषां युधि चेति पार्थिवः । 13 / 21 वह संपूर्ण शास्त्रों के पार भी जाएगा और युद्ध - क्षेत्र में शत्रुओं के व्यूहों को तोड़कर उनके भी पार जाएगा। शृंगं सदृप्तविनयाधिकृतः परेषामत्युच्छ्रितं । 9/62 वे सिर उठाकर चलने वालों का दमन अवश्य करते थे, इसलिए उन्होंने ऐंठकर चलने के साधन सींगों को काट डाला । परात्मनोः परिच्छिद्य शक्त्यादीनां बलाबलम् । 17/59 चढ़ाई करने के पहले वे अपने और शत्रु के बल और त्रुटि को भली-भाँति तौल लेते थे । पराभि संधान परं यद्यप्यस्य विचेष्टितम् | 17 / 76 इनका काम यद्यपि शत्रुओं को जिस तिस प्रकार हराना ही था । 5. रिपु: - [ रप् + उन्, पृषो० इत्वम्] शत्रु, दुश्मन, प्रतिपक्षी । दोहावसाने पुनरेव दोग्ध्रीं भेजे भुजोच्छिन्नरिपुर्निषण्णम् । 2/23 की पूजा हो जाने पर शत्रुओं के संहारक राजा दिलीप, नंदिनी के दूध दुह लेने के बाद उसकी सेवा में फिर लग गए। For Private And Personal Use Only इन्द्रियाख्यानिव तत्रोच्चैर्जयस्तम्भं चकार सः । 4/60 जैसे कोई योगी इन्द्रियरूपी शत्रुओं को जीतने के लिए तत्त्वज्ञान का सहारा लेता है। हर्म्याग्रसंरूढतृणांकुरेषु तेजोडविषह्यं रिपुमन्दिरेषु । 6 / 47 सूर्य के समान प्रचंड तेज शत्रुओं के उन राजभवनों पर दिखाई देता है, जिनके उजड़ जाने पर उनमें घास जम आई है।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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