SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 92 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश आपादपद्मप्रणताः कलमा इव ते रघुम् । 4 / 37 वैसे ही रघु ने उन राजाओं को फिर राज पर बैठा दिया, जो उनके पैरों पर आकर गिर पड़े थे । रत्नपुष्पोपहारेण च्छायामानर्च पादयोः । 4 / 84 इस प्रकार अज उन राजाओं के सिरों पर बायाँ पैर रखकर । स्वं वपुः स किल किल्विषच्छिदां रामपादरज सामनुग्रहः । 11/34 राम के चरणों की धूल के छूते ही, उसे इतने दिनों पीछे वही सुंदर शरीर मिल गया। राघव: शिथिलं तस्थौ भुवि धर्मस्त्रिपादिव । 15/96 राम उसी प्रकार ढीले पड़ गए जैसे पृथ्वी पर त्रेतायुग में तीन पैर वाला धर्म ढीला पड़ जाता है। सालक्तकौ भूपतयः प्रसिद्धैर्ववन्दिरे मौलिभिरस्य पादौ । 18/41 राजाओं ने अपने प्रसिद्ध मुकुटों से उन महावर लगे पैरों का वंदन किया। चातक 1. चातक :- [ चच् + ण्वुल् ] चातक, पपीहा । स्वस्त्यस्तु ते निर्गलितांबु गर्भं शरद्धनं नार्दति चातकोऽपि। 5/17 पपीहा भी बिना जल वाले बादलों से पानी नहीं माँगता, आपका कल्याण हो । अंबुगर्भो हि जीमूतश्चातकैरभिनन्द्यते । 17/60 चातक उन्हीं बादलों का स्वागत करते हैं, जिनमें पानी भरा होता है । 2. सारंग : - [ सृ + अङ्गच्+अण्] चातक, पपीहा । प्रवृद्ध इव पर्जन्यः सारंगैरभिनंदितः। 17/15 मानो बहुत से चातक मिलकर बादल के गुण गा रहे हों । चामर For Private And Personal Use Only 1. चामर :- [ चमर्याः विकारः तत्पुच्छनिर्मितत्वात् चमरीः+अण्] चौरी, चंवर । अदेयमासीत्त्रयमेव भूपतेः शशिप्रभं छत्रमुभे च चामरे । 3/16 वे इतने प्रसन्न हुए कि छत्र और दोनों चँवर तो न दे सके, शेष सब आभूषण उतार कर उसे दे डालें।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy