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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश चरण 1. चरण :-[च+ल्युट्] पैर। ते रेखाध्वज कुलिशात पत्र चिन्हं सम्राजश्चरणयुगं प्रसादलभ्यम्। 4/88 उन राजाओं ने रघु के उन चरणों में झुककर जिन पर ध्वजा, वज्र और छत्र आदि की रेखाएँ बनी हुई थी। स्मरतेव सशब्दनूपुरं चरणानुग्रहमन्यदुर्लभम्। 8/63 तुम्हारे झुनझुनाते बिछुओं वाले चरण की ठोकर किसी को नहीं मिलती, पर तुमने बड़ी कृपा करके उस अशोक को ठोकर लगाई थी, उसे स्मरण करके ही। निर्यात शेषा चरणाद् गंगेवोर्ध्व प्रवर्तिनी। 10/37 मानो उनके चरणों से गंगाजी निकलकर ऊपर को जा रही हैं। तौ निदेशकरणाद्यतौ पितुर्धन्विनौ चरणयोर्निपेततुः। 11/4 पिताकी आज्ञा पालन करने को प्रस्तुत होकर दोनों राजकुमार अपने पित्य के चरणों में झुके ही थे। राघवोऽपि चरणौ तपोनिधेः सभ्यतामिति वदन्समस्पृशत्। 11/89 तब राम ने भी परशुरामजी से क्षमा माँगते हुए उनके चरणों में प्रणाम किया। लंकेश्वर प्रणति भंगदृढ़व्रतं तबद्यं युगं चरण योर्जनकात्मजायाः। 13/78 सीताजी के जिन पवित्र चरणों ने रावण की प्रणय-प्रार्थना को दृढ़तापूर्वक ठुकरा दिया था। सोपानमार्गेषु च येषु रामा निक्षप्तवत्यश्चरणान्सरागान्। 16/15 पहले जिन सीढ़ियों पर सुंदरियाँ अपने महावर लगे लाल पैर रखती चलती थीं। तद्गवाक्षविवरालंबिना केवलेन चरणेन कल्पितम्। 19/17 बस इतना ही कि झरोखे से एक पैर लटका देता था। 2. पद (पु०) :- [पद्+क्विप्] पैर, चरण। सुव्यक्तभाई पदपंक्तिभिरायताभिः। 9/59 पैर की गीली छापों की पाँत को देखकर जान पड़ता था। 3. पाद :--[पद+घञ्] पैर, चरण। गुरोः सदारस्य निपीड्य पादौ समाप्य सांध्यं च विधिं दिलीपः। 2/23 गौ की पूजा हो जाने पर दिलीप ने पहले वशिष्ठजी और अरुंधती जी के चरणों की वंदना की, फिर अपने संध्या के नित्य कर्मों को समाप्त किया। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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