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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विमत विमत पुं० - ति स्त्री० [सं.] विरुद्ध मत (२) असंमति [खिन्न ४८८ विमन, ०स्क वि० [सं.] अनमनुं; उदास; विमर्श, ०न पुं० [सं.] विचार; विवेचन; समीक्षा विमल वि० [सं.] निर्मळ; स्वच्छ विमाता स्त्री० [सं.] सावकी मा विमान पुं० [सं.] हवाई वाहन (२) रथ विमुक्त वि० [सं.] मुक्त; स्वतंत्र; छूटुं (२) रहित विमुक्ति स्त्री० [सं.] मुक्ति; स्वतंत्रता विमुख वि० [ सं . ] विरुद्ध; सामेनुं; प्रतिकूळ विमुद वि० [सं.] अप्रसन्न; उदास विमूढ़ वि० [ सं . ] मूढ; अति मोहमां पडेलुं; जड [(२) रहित वियुक्त वि० [सं.] विखूट; छूटुं; अलग वियोग पुं० [सं.] छूटुं पडवुं ते (२) विरह वियोगान्त वि० [सं.] अशुभान्त (नाटक इ० ) [ रंगोनुं विरंग वि० [सं.] खराब रंगनुं (२) विविध विरंचि पुं० [सं.] ब्रह्मा विरक्त वि० [सं.] वैराग्य वाळु निवृत्त (२) विमुख; अलग o विरक्ति स्त्री० [सं.] वैराग्य; उदासीनता विरचित वि० [सं.] रचायेलुं; बनेलुं विरत वि० [सं.] विशेष रत - लीन ( २ ) विरतिवाळु विरक्त विरद पुं० [सं. विरु] विरद; ख्याति विरदावली स्त्री० बिरदावली; यशोगान विरल वि० [सं.] अलग अलग; छूटं (२) दुर्लभ (३) अल्प विरस वि० नीरस; फीकुं; अप्रिय विरसा पुं० 'वारसा'; वारसो विरह पुं० [सं.] जुदाई; वियोग के तेनुं विलगाना दुःख - हिणी स्त्री० विरहवाळी स्त्री. - ही पुं० विरहवाळो विराग पुं० [ सं . ] वैराग्य. गी वि० वेरागी विराजमान वि० [सं.] शोभीतुं (२) हयात विराजना अ०क्रि० विराजवुं; शोभवुं (२) विराजवं; बेसवं (३) हाजर होवु विराट वि० [सं.] बहु मोटुं (२) पुं० विश्वरूप; विभु [ आराम विराम पुं० [सं.] विरमवु, थोभवुं ते; विरासत स्त्री० [ अ ] जुओ 'वरासत' विरुद पुं० [ सं . ] ख्याति; प्रशस्ति fararaat स्त्री० [ सं . ] जुओ 'विरदावली' विरुद्ध वि० [सं.] सामे; प्रतिकूळ विरूप वि० [सं.] ऊलटुं (२) कदरूपुं विरेचक वि० [सं.] रेचक; ' दस्तावर.' -न पुं० रेच के तेनी दवा विरोचन पुं० [सं.] सूर्य (२) चंद्र (३) अग्नि (४) प्रकाश; चमक विरोध पुं० [सं.] अणबनाव; प्रतिकूळता (२) सामे होवुं के थवुं ते; शत्रुता विरोधाभास पुं० [सं.] विरोधनो आभास; एक अर्थालंकार [सामेवाळं; शत्रु विरोधी वि० [सं.] सामेनुं प्रतिकूळ ( २ ) विर्द स्त्री० [ अ ] नित्यनुं कार्य; दैनिक कार्य विलंब पुं० [सं.] ढील; मोडुं थवुं ते (२) लटकवुं ते [ लटकवुं विलंबना अ०क्रि० विलंब करवो (२) विलंबित वि० [सं.] लटकतुं (२) ढीलमां पडतु; विलंबवाळं विलक्षण वि० [सं.] अपूर्व; असाधारण विलखना अ०क्रि० जुओ 'बिलखना' विलग वि० (२) पुं० जुओ 'बिलग' विलगाना अ० क्रि० (२) स०क्रि० जुओ 'बिलगाना' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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