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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विनष्ट विनष्ट वि० [ सं . ] नाश पामेलुं; मृत; भ्रष्ट विनसना अ०क्रि० (प.) जुओ 'विनशना' वितसाना अ० क्रि० ( प. ) 'विनसना' (२) o स०क्रि० वणसाडवं विना अ० [सं.] वगर; सिवाय विनाथ वि० [सं.] अनाथ [ बरबादी विनाश पुं० [ सं . ] खुवारी; नाश; हानि; विनासना स०क्रि० ( प. ) जुओ 'विनसाना' विनिमय पुं० [ सं . ] बदलो; आप-ले (२) गीरो विनियोग पुं० [सं.] उपयोग; खपमां लेवुं ते (२) प्रवेश [सुशील विनीत वि० [सं.] विनयी; सभ्य; नम्र; वि अ० ( प. ) विना विनोद पुं० [ सं . ] कौतुक,गमत; हांसी-खेल. -दी वि० विनोदवाळं [गोठवणी • विन्यास पुं० [सं.] रचना; सजावट; विपक्ष पुं० [ सं . ] सामेनो - विरुद्ध पक्ष (२) वि० सामेनुं ; विरुद्ध. - श्री पुं० सामावाळियो ४८७ विपत्ति स्त्री० [ सं . ] संकट; आफत ( २ ) दुःखदशा (३) मुश्केली; पंचात . - ढहना = दुःख आवी पडवुं विपथ पुं० [ सं . ] कुमार्ग; आडो रस्तो विपद, - दा स्त्री० [सं.] विपत्ति; आफत विपन्न वि० [ सं . ] दु:खी; विपत्तिमां आवेलुं विपरीत वि० [ सं . ] ऊलटुं; ऊंधु; अवळं; प्रतिकूल विपर्यय, विपर्यास पुं० [सं.] ऊलटुं; अवळुसवळं थवुं ते (२) भ्रम [अस्तव्यस्त विपर्यस्त वि० [सं.] विपर्यय पामेलुं (२) विपाक पुं० [सं.] परिपक्व दशा; फळ (२) दुर्दशा (३) स्वाद विपात पुं० [ सं . ] विनिपात; नाश विपादिका स्त्री० [ सं . ] पगनो एक रोग विभ्राट् विपिन पुं० [सं.] वन; जंगल ( २ ) उपवन; बाग विपुल वि० [सं.] खूब; पुष्कळ ( २ ) अगाध विपुला स्त्री० [ सं . ] धरती; पृथ्वी विप्र पुं० [सं.] ब्राह्मण विप्रलंभ पुं० [सं.] वियोग (२) छळ, धोखो विप्लव पुं० [सं.] बळवो; उत्पात ( २ ) पाणीनी रेल (३) नाश Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विफल वि० [सं.] फळरहित; व्यर्थ; नका विबुध पुं० [ सं . ] विद्वान (२) चंद्र (३) देव विबोध पुं० [सं.] जागरण ( २ ) होंशमां आववुं ते; सावधानी (३) ज्ञान; बोध विभक्त वि० [सं.] छूटुं; भाग पाडेलुं के बहॅचेलुं विभक्ति स्त्री० [सं.] वहेंचणी; विभाजन (२) व्या०नी विभक्ति; कारक विभव पुं० [सं.] वैभव, साहेबी; ऐश्वर्य (२) मुक्ति [ राजा विभाकर पुं० [सं.] सूर्य (२) अग्नि ( ३ ) विभाग पुं० [सं.] हिस्सो; खंड (२) खातुं विभाजन पुं० [सं.] विभाग करवा ते ( २ ) वहेंचणी (३) भाजन; पात्र विभात पुं० [सं.] प्रभात; सवार विभाति स्त्री० [सं.] शोभा; प्रभा विभावरी स्त्री० [सं.] रात (२) खराब स्त्री विभिन्न वि० [सं.] भिन्न; जुदुं (२) विविध विभु वि० [सं.] सर्वव्यापक ( २ ) पुं० प्रभु विभूति स्त्री० [ सं . ] ऐश्वर्य; वैभव, समृद्धि विभूषण पुं० [ सं . ] भूषण; शणगार; शोभा विभेद पुं० [सं.] भेद; अंतर; फरक (२) छेद; काणुं विभ्रम पुं० [सं.] भ्रम; संदेह (२) गभराट (३) भ्रमण; चक्कर विभ्राट् पुं० [सं.] वखेडो; झघडो For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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