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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकोच ५०२ संघरवं संकोच पुं० संकोच; तंगी; कमी; संकी- संगठन न० संघटन; संगठन र्णता (जगह, चीज़ आदिकी) (२) संगति स्त्री. संगति; संयोगः मिलन हिचकिचाहट; झिझक ; संकोच (३) (२) मेल; संगत (३) साथ; सोहलज्जा; शर्म; संकोच (४) मुंदना; बत; संगति (४) पूर्वापर संबंध (५) बंद होना (नेत्रका);संकोच (५) भय 'सिमेट्री'; संगति संकोचवू सक्रि० मूंदना; सिकोड़ना संगतिदोष पुं० सुहबतका बुरा असर (२) मर्यादित करना, संकुचित करना; संगाथ पुं० संग; साथ; मार्गका साथ सिकोड़ना संगाथी वि० (२) पुं० साथी; संगी; संकोधावं अ०क्रि० 'संकोच'का कर्मणि, हमराह [पुं० साथी, सुहबती, संगी संकुचित होना; मुंदना; सकुचाना [प.] संगी वि० साथ करनेवाला; संगी(२) (२)झिझकना हिचकना सकुचाना[प.] संगीन वि० संगीन; पत्थरका बना संकोड, स० क्रि० संकुचित करना; हुआ(२)मजबूत; संगीन (३)स्त्री० सिकोड़ना; (२) बटोरना संगीन; 'बेयोनेट' संकोरणी स्त्री० उकसानेकी क्रिया संगमरमर पुं० संगमरमर [[प.] संकोर, स० क्रि० घुसाना; आगे सर संग्रह सक्रि० संग्रह करना; संग्रहना काना; उकसाना; ज्यादा घुसेड़ना संग्रहस्थान, संग्रहालय न० अजायबघर; .(२)प्रज्वलित करना; भड़काना (३) उकसाना; उत्तेजित करना (४)देखिये संग्रहस्थान; 'म्यूजियम' 'संकेलधुं' संघ पुं० संघ; समूह; दल (२) तीर्थसंख्याबल (-)न० संख्याओंसे मिलने यात्रियोंका समूह (३) संघटित और वाली या पैदा होनेवाली सम्मिलित व्यवस्थित समूह; संघ; उदा० 'युवकशक्ति; संख्याबल संघ'। [-काढवो = तीर्थ-यात्रियोंका संख्यावाचक वि० संख्यावाचक [व्या.] समूह लेकर चलना (२) (व्यंग्यमें) संख्यावृत्तिवाचक वि० आवृत्तिवाचक (किसीके) पास कुछ नहीं है यह संख्यावाचक (विशेषण); उदा. 'बेवडु' जताना; पोल खुल जाय ऐसा करना संख्यासमूहवाचक वि० समूहवाचक (३) ढोंग रचना। -काशीए जवो, संख्यावाचक (विशेषण); उदा० 'पंचक, पहोंचवो= इच्छित प्रयोजनका सिद्ध सैकुं व्या.] होना; काम होना.] संख्यांशवाचक वि० अपूर्णाकबोधक संघबळ न० संघशक्ति • संख्यावाचक (विशेषण); उदा० अधु' संघरणी स्त्री० संग्रहणी संग पुं० संग; संयोग; मिलन (२) संघरवं अ० क्रि० जमा करना; एकत्र संपर्क; संबंध; संग (३) सुहबत; करना; संग्रह करना ; संग्रहना [प.] संगति; साथ; संग (४) आसक्ति; (२) हिफ़ाजतसे रख छोड़ना (३) संग (५) मैथुन ; संगति किसीको अपने अंदर समाविष्ट करना; संगटो पुं० मिश्रण; संयोग; मिलावट अपनाना; मिलाना; रखना For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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