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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सळकरी ५०१ संकेल सळकरी स्त्री० छोटी तीली; सलाई; उभारना; उत्तेजित करना (२) शलाका (२) [ला. उकसाहट;उत्तेजन । चिढ़ाना; खिझाना(३)चिढ़ानेके लिए [-करवी-उभारना; उत्तेजित करना.] उँगली आदिसे छूना; छेड़ना.] सळकर्ड न० शलाका; छोटी सलाई. सळेखम न० जुकाम सळकवं अ०क्रि० जरासा हिलना; कुल- सळो पुं० घुनना; कीड़े लगना बुलाना (२) खानेकी तीव्र इच्छा होना; संकडामण (-णी) स्त्री० जगहकी तंगी; होका होना (३) शूल उठना संकीर्णता; कुशादगीका न होना (२) सळको पुं० देखिये 'सळक' (२) तीव्र मुश्किल ; संकट [प्रेरणार्थक इच्छा; लालसा [जलना संकडाव स० क्रि० 'संकडावु' का सळगवं अ०क्रि० सुलगना; सिलगना; संकडावं अ०क्रि० सिमटना; सिकुड़ना; सळवळवू अ० क्रि० जरा-जरा हिलना; तंग जगहमें दबना(२)जगहकी संकीर्णता अंगड़ाई लेना;कुलबुलाना(२)शरीर पर सहन करना (३)संकट, भीड़ पड़ना; कीड़ा रेंगनेकासा भाव उत्पन्न होना(३) संकटमें फंसना [ला.] कुछ करनेके लिए आमादा, तत्पर हो संकडाश स्त्री० तंगी; संकीर्णता;जगहकी जाना [बुलाहट तंगी (२) संकट; मुश्किल तळवळाट पुं० हिलना-डुलना; कुल संकल्प पुं० संकल्प; इरादा; इच्छा; प्रयो जन (२) निश्चय; संकल्प (३) कोई सळवं अ०क्रि० धुन द्वारा खाया जाना; घुनना; घुन लगना धार्मिक कृत्य करनेकी प्रतिज्ञा; संकल्प सळंग वि० जिसमें जोड़ न हो; जो (४) कल्पना; विचार; संकल्प; तर्क। बीचमसे जुड़ा हुमा न हो; अखंड; [-ऊठवो=कल्पना उठना;जीमें आना; अटूट; अविच्छिन्न (२) अ० लगातार; धुन बंधना। -करवो-निश्चय करना; बराबर; बिना रुके ठानना (२) प्रतिज्ञा करना; नियम सळंगसूत्र विक्रमबद्ध; सिलसिलेवार; बनाना। मूकवो प्रतिज्ञा लेना(२) अविच्छिन्न ; एक सूत्र में जोड़ा हुआ निश्चय करना (३)आशा छोड़ देना.] सळियो पुं० छड़ (धातुका); सीखचा; संकळावं अ०क्रि० 'सांकळवू'का कर्मणि, लोहेकी तीली संकलित होना; संलग्न होना; (जंजीरसळी स्त्री० शलाका;सलाई।[-आपवी के आंकड़ोंकी तरह)जुड़ा हुआ होना = उभारना; उकसाना। -करवी% संकेत पुं. पहलेसे की हुई गुप्त योजना नटखटी करना; छेड़ना.] (२) इशारा; इंगित; चिह्न; संकेत (३) सळीसंचो पुं० [ला.] भले-बुरे उपाय; संकेत स्थान; संकेत (४) शर्त ; संकेत युक्ति-प्रयुक्ति (२)उकसाहट उत्तेजना (५)संकेतवाक्य ; सांकेतिक शब्द [व्या.] सळेकडी स्त्री०, (-1) न० देखिये संकेल, सक्रि० समेटना; बटोरना; 'सळकडी आदि तह करके रखना (जाजिम आदि); सळेखी स्त्री० देखिये 'सळकडी' सकेलना [प.] (२)बंद करना; सकेसळेलई न० देखिये 'सळकडु' ।[-करवं रना [प.] For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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