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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संदर्भ संघराखोर ५०३ संघराखोर वि० ज़रूरतसे ज्यादा संग्रह संचो पुं० यंत्र; कल (२) देखिये 'संच' करनेकी वृत्तिवाला; संग्राहक ; परिग्रही (३) स्टव संघराखोरी स्त्री० संग्राहक-वृत्ति संचोरो पुं० पापड़ाखार संघरो पुं० संग्रह; संचय; परिग्रह संजाप(-ब) पुं० संजाफ़; गोट; किनारा संघाडियो पुं० खरादी संजीवन न० पुनर्जीवित करना;संजीवन संघाडो पुं० खराद संजीवनी स्त्री० संजीवनी (औषधि) संघात पुं० साथ; संग (२) जमाव; भीड़; (२) संजीवनी-विद्या जत्था; समूह; संघ (३) आधात; संजोग पुं० संयोग; संजोग; मिलन पीटना; संघात (४) अ० साथ ; संग; (२) दैवयोग; संयोग; इत्तफ़ाक़ (३) सहित ; उदा० 'कोनी संघात गयो?' परिस्थिति संघाती वि० (२) पुं० साथी; संगी संजोगवशात् अ० दैवयोगसे ; इत्तफ़ाक़न् संघाते अ० साथ; संग. संडास पुं०.; न० संडास; पाखाना संघेडो पुं० देखिये 'संघाडो'; खराद संडोव, सक्रि० शरीक करना; फंदेमें संच पुं० गुप्त पेचदार रचना या बनावट लाना; घसीटना; फाँसना (२) दीवार या पिटारी आदिमें बनाया संडोवावं अ०क्रि० संडोव' का कर्मणि हुआ गुप्त खाना या आलमारी संत वि० साधु; पवित्र (२)पुं०संत;साधु संचरवू अ० क्रि० चलना; चलता बनना; संतति स्त्री० संतति; बाल-बच्चे; संचरना [प.](२)भीतर घुसना;व्याप्त औलाद (२) फैलाव; विस्तार; संतति होना;फैलना(३)सक्रि० संचय करना; (३)परंपरा; अविच्छिन्नता; संतति संचना [प.] (४) खपरैलोंकी फेरवट संततिनियमन न० संतति-निरोध करना [मेहनताना संतरं न० संतरा संचरामण न०,(-णी) स्त्री० फेरवटका संतलस स्त्री० गुप्त मंत्रणा; मसलहत संचराव, सक्रि० 'संचर' का प्रेरणा- संताकुकडी स्त्री० एक . खेल; आँखर्थक (२) फेरवट कराना मिचौनी करना संचवें सक्रि० इकट्ठा करना; जमा, संताडवू स० क्रि० छिपाना; आड़में संचय करना;संचना[प.](२)गड्ड बनाना संतापवं स० क्रि० पीड़ा, कष्ट देना; संचळ पुं० संचल ; सोंचर नमक; काला सताना; संतापना [प.] नमक संताएं अ० क्रि० छिपना; छुपना संचार पुं० फैलना;प्रसार; संचार (२) संतोखq स० क्रि० संतुष्ट करना; राजी चलाना ; आगे बढ़ाना;प्रेरणा करना; करना वजन संचार (३)गमन; संचार; भ्रमण (४) संतोलो पुं० बारदानके साथका कुल सूर्यका दूसरी राशिमें प्रवेश; संचार संत्री पुं० संतरी; पहरेदार; संत्री। संचारवं स० क्रि० खपरैलोंकी फेरवट, संदर्भ पुं० संदर्भ ; मनका आदि पिरोना; फेरोरी करना (२) डालना; सींचना व्यवस्थित करना (२) एकत्र करना; संचारो पुं० फेरवट करनेवाला संकलन करना; संदर्भ (३)आगे-पीछेके For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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