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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनगारधर्मामृतवर्षिणी टोका अ.१ सू. २४ मेघकुमारपालनादिवर्णनम् ३०३ गिहे नयरे गुणसिलए चेइए जाव विहरइ। तएणं से रायगिहे न. यरे सिंघाडग तिग चउक्कचच्चर चउम्मुहमहापहपहेसु बहुजणसदेइवा जाव बहवे उग्गा जाव रोयगिहस्स नयरस्स मज्झंमज्झेणं. एगदिसि एगाभिमुहा निग्गच्छंति। इमं च णं मेहे कुमारे उप्पि पासायवरगए फुडमाणेहिं मुयंगमत्थएहिं जाव माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे रायमग्गं च ओलोएमाणे२ एवं च णं विहरइ। तएणं से मेहे कुमारे ते बहवे उग्गे जाव एगदिसि एगाभिमुहे निग्गच्छमाणे पासइ, पासित्ता कंचुइपुरिसे सहावेइ, सदावत्ता एवं वयासी-किण्णं भो देवाणुप्पिया! अज रायगिहे नयरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा एवंरुदसिववेसमणनागजक्खभूयनईतलायरुक्खचेइ य पव्वय उजाणगिरिजत्ताइ वा, जओ णं बहवे उग्गा जाव एगदिसिं एगाभिमुहा णिग्गच्छंति । तएणं से कंचुइपुरिसे समणस्स भगवओ महावीरस्स गाहियागमणपवत्तिए मेहं कुमारं एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज रायगिहे नयरे इंदमहेइ वा जाव गिरिजत्ताइ वा, जन्नं एए उग्गा जाव एगदिसिं एगाभिमुहां निग्गच्छन्ति, एवं खलु देवाणु प्पिया। समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थकरे इहमागए इह संपत्त इह समोसढे इह चेव रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए अहापडिरूवं जाव. विहरइ ॥सू० २४॥ टीका--'तेणं कालेणं' इत्यादि । तस्मिन् काले तस्मिन् समये श्रमणो 'तेणं कालेणं तेणं समएणं' इत्यादि टीका-(तेणं काले णं तेण समएणं) उस काल में और उस समय में तेणं कालेणं तेणं समएणं' इत्यादि ॥ elt-(तेणं कालेणं तेण समएणं) तेणे भने ते समय (समणे भगवं For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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