SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाताधर्म कथाजस्त्रे मत्थयधोयाओ करेइ, पुत्ताणुपुत्तियं वित्ति कप्पेइ, कप्पित्ता पडिविस. जेइ । तएणं से सेणिए राया कोडंवियपुरिसे सदावेइ, सदावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया। रायगिहं नयरं आसिय जाव परिगीयं करेह,करित्ताचारगपरिसोहणंकरेह करित्ता माणुम्माणबद्धणं करेह, करित्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह जाव पञ्चप्पिणंति । तएणं से सेणिए राया अट्टारससेणीप्पसेणीओ सहावेइ, सदावित्ता एवं वयासीगच्छहणं तुब्भे देवाणुप्पिया।रायगिहे नयरे अभितरबाहिरिए उस्सुकं उकरं अभडप्पवेसं अदंडिमकुदंडिमं अधरिमंअधारणिज्जं अणुद्धयमुइंगं अभिलायमल्लदामं गणियावरणाडइजकलियं अणेगतालाय राणुचरियं पमुइयपक्कीलियाभिरामं जहारिहं ठिईवडियं दसदिवसियं करेह करित्ता एयमाणत्तियं पगापणह । तेवि करेंति, करित्ता तहेव पञ्चप्पिणंति । तएणं से मेणिए राया बाहिरियाए उवटाणसालाए सीहासणवरगए पुरस्थाभिमुहे सन्निसन्ने सइएहि र साहस्सिएहिय सयसाहस्सेहि य जाएहिं दाएहि भाएहिंदलयमाणे २ पडिच्छेमाणे २ एवं च णं विहरइ । तएणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढने दिवसेजायकम्मं करेंति,करिता बिइयदिवसे जायरियं कति करित्ता तइए दिवसे चंदसूरदसणं कारेंति, एवामेव निव्वत्ते असुइजाय. कम्मकरणे संपत्ते बारसाह दिवसे विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडाति, उवक्खडावित्ता मित्तणाइणियगसयणसंबंधि परिजणे बलं च वहवे गणणोयग दंडणायग जाव आमंति' तओ पच्छा व्हाया कयबलिकम्मा कय कोउय जाव सव्वालंकार विभूसिया For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy