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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्षय-रोगपर प्रश्नोत्तर। ६०७ जिनकी छाती छोटी होती है, जिनकी मर्दन लम्बी और आगेको झुकी हुई होती है, जिनके कन्धोंपर मांस बहुत ही कम होता है, ऐसे लोगोंको यह जियादा होता है। प्र-क्षयकी साफ़ पहचान बताओ। । उ०--अगर नीचे लिखे लक्षण देखे जावें तो क्षय समझोः ( १ ) कन्धे और पसलियोंमें दर्द । - (२) हाथ-पैरोंमें जलन होना। (३) सारे शरीरमें महीन-महीन ज्वर रहना । (४) शारीरिक वजनका नित्य प्रति घटना । प्र०-क्षय रोगीके लक्षण बताओ । उ०--पहले खाँसी आती है। सूखी खाँसी बहुधा होती है। हल्का-हल्का ज्वर रहता है। पीछे कुछ दिन बाद खाँसीमें खून आने लगता है । चेहरा लाल-सुर्ख हो जाता है। नाख्न टेढ़े होने लगते और बहुत बढ़ जाते हैं । आँखें नेत्र-कोषोंमें घुस जाती हैं। पैरोंपर कभी-कभी सूजन चढ़ आती है। जिधरके फेफड़ेमें ाव होता है, उधरकी तरफ़ लेटनेसे तकलीफ होती है । कफ फेफड़ोंके घरोंमें जमा हो जाता है । उसकी गाँठे पड़ जाती हैं । अन्तमें पककर, राध आने लगती है। ___अथवा यों समझिये:रोग होनेसे पहले रोगीको बहुत दिनों तक जुकाम बना रहता है। नाक बहा करती है। छींकें आया करती हैं। पीछे जुकामसे ही बुखार हो जाता है। यह बुखार जरा-सी फुरफुरी या सर्दी लगकर चढ़ता है। फेफड़ोंमें जलन-सी होने लगती है। खाँसी आती रहती है। उसमें कफके साथ थोड़ा-थोड़ा खून आता रहता है। दिलकी धड़कन ( Palpitation of heart) बढ़ जाती है। छातीका दद धीरे-धीरे बढ़ता है। दमेके कारण बड़ी तकलीफ होती है। गला For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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