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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६६ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (२) गिलोयका काढ़ा या फाँट पिलाना भी रस और रक्त बढ़ानेको अच्छे हैं। (३) कालीमिर्चोंके साथ पकाया हुआ गायका दूध अथवा औटाये हुए गायके दूधमें मिश्री और दस-पन्द्रह दाने गोलमिर्च डालकर पीना रस-रक्त बढ़ानेका सर्वश्रेष्ठ उपाय है; पर इसे रातके समय पीना चाहिये । इस तरहका औटाया हुआ दूध जुकामको भी फ़ौरन आराम करता है। नोट-इन उपायोंसे रस और रक्त दोनों बढ़ते हैं। (४) अगर रोगी खानेको माँगे, तो बरस दिनके पुराने गेहूँकी खमीर उठायी रोटी, जौकी पूरी और पुराने और शालि चाँवलोंका भात--ये सब रोगीको दे सकते हो। रक्त-क्षयके लक्षण । अगर रक्त-क्षय या खूनकी कमी होगी, तो पाण्डु-रोग हो जायगा, शरीर पीला पड़ जायगा, काम-धन्धेको दिल न चाहेगा, श्वास-रोग होगा, मैं हमें थूक भर-भर आवेगा, अग्नि मन्द होगी, भूख न लगेगी और शरीर सूखेगा । अगर ये लक्षण दीखें, तो खूनकी कमी समझकर खून बढ़ानेके उपाय करने चाहिएँ । रक्त बढ़ानेके उपाय । हारीत कहते हैं:--घी, दूध, मिश्री, शहद, गोलमिर्च और पीपर-- इनका पना बनाकर पीनेसे खूनकी वृद्धि अवश्य होती है। हारीत मुनिका यह योग हमने अनेक बार आजमाया है, जैसी तारीफ़ लिखी है वैसा ही है:-अगर रोगीका मिजाज सर्द हो तो पावभर दूध औटा लो; अगर मिज़ाज गरम हो तो औटानेकी दरकार नहीं; कच्चे या औटे हुए दूधमें एक तोले घी, ६७ माशे For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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