SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 568
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नर-नारीकी जननेन्द्रियोंका वर्णन । स्तन। स्त्रीके स्तन या दुग्ध-ग्रन्थियाँ भी होती हैं। स्तनोंकी बीटनियों या घुण्डियोंमें १२ से २० तक छेद होते हैं। कुमारियोंके स्तन छोटे होते हैं । ज्यों-ज्यों कन्या जवान होती है, उसकी जननेन्द्रियाँ बढ़ती हैं । जवानी आनेपर स्तन भी बढ़ते हैं और भगके ऊपर बाल भी आते हैं। जब स्त्री गर्भवती होती है और वालकको दूध पिलाती है, तब ये स्तन बड़े हो जाते हैं। जिसने गर्भ धारण न किया हो, उस स्त्रीका स्तन-मण्डल हल्का गुलाबी होता है । गर्भके दूसरे मासमें स्तनमण्डल बड़ा और उसका रंग गहरा हो जाता है। अन्तमें वह काला हो जाता है । जब स्त्री दूध पिलाना बन्द करती है, तब स्तन-मण्डलका रंग फिर हल्का पड़ने लगता है; परन्तु उतना हल्का नहीं होता, जितना कि गर्भवती होनेके पहले था। 6 आर्तव-सम्बन्धी जानने-योग्य बातें । NOON जब कन्या जवान होने लगती है, तब उसकी योनिसे एक तरहका लाल पतला पदार्थ हर महीने निकला करता है। इसीको रजोधर्म या रजस्वला होना कहते हैं। रजोदर्शनके साथ ही जवानीके और चिह्न भी प्रकट होते हैं - स्तन बढ़ते हैं और भगके ऊपर बाल आते हैं। ___ आर्तव खून-मिला हुआ स्राव है, जो गर्भाशयसे निकलकर आता है । इस खूनमें श्लेष्मा मिली रहती है, इसीसे यह जल्दी जम नहीं सकता । सब स्त्रियोंके समान आर्तव नहीं होता। यह एकसे तीन या चार छटाँक तक होता है। ___ आर्तव निकलनेके दो-चार दिन पहलेसे जब तक वह निकलता रहता है, स्त्रियोंको आलस्य और भोजनसे अरुचि होती है। ६८ For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy