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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाँझका इलाज। ४३१ ( १६ ) नागकेशरको पीस-छानकर, बछड़ेवाली गायके दूधके साथ खानेसे गर्भ रहता है। ( १७ ) बिजौरे नीबूके बीज पीसकर, बछड़ेवाली गायके दूधके साथ खानेसे गर्भ रहता है। (१८ ) खिरेंटी, खाँड़, कंघी, मुलेठी, बड़के अंकुर और नागकेशर, इनको शहद, दूध और घीमें पीसकर पीनेसे बाँझके भी पुत्र होता है। ( १६ ) ऋतुस्नान करके, असगन्धको दूधमें पकाकर और घी डालकर, सवेरे ही, पीने और रातको भोग करनेसे गर्भ रह जाता है। (२०) ऋतुस्नान करनेवाली स्त्री अगर, पुष्य नक्षत्र में उखाड़ी हुई, सफ़ेद कटेहलीकी जड़को, कँवारी कन्याके हाथोंसे दूधमें पिसवाकर पीती है, तो निश्चय ही गर्भ रह जाता है। (२१ ) पीले फूलकी कटसरैया की जड़, धायके फूल, बड़के अंकुर और नीले कमल,-इन सबको दूधमें पीसकर पीनेसे अवश्य गर्भ रह जाता है। . ( २२ ) जो स्त्री जीरे और सफ़ेद फूलके सरफोंकेके साथ पारसपीपलके डोडेको पीसकर पीती और पथ्यसे रहती है, वह अवश्य पुत्र जनती है। ( २३ ) जो गर्भवती स्त्री ढाकके एक पत्त को दूधमें पीसकर पीती है, उसके बलवान पुत्र होता है । कई बार चमत्कार देखा है। परीक्षित है। ... ( २४ ) कौंचकी जड़ अथवा कैथका गूदा अथवा शिवलिंगीके चीजोंको दूधमें पीसकर पीनेसे गर्भवती स्त्री कन्या हरगिज़ नहीं जनती । ( २५ ) विष्णुकान्ताकी जड़ अथवा शिवलिंगीके बीज जो स्त्री पीती है, वह कन्या हरगिज़ नहीं जनती। उसके पुत्र-ही-पुत्र होते हैं। . (२६ ) दो तोले नागौरी असगन्धको गायके दूधके साथ सिलपर पीसकर लुगदी बना लो । फिर उसे एक कलईदार कदाही या For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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