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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-नष्टार्तव। ४०१ मासिक-धर्म न होनेसे हानि । स्त्रीको महीना-महीना रजोधर्म न होनेसे नीचे लिखे रोग हो जाते हैं: (१) गर्भाशयका भिंचना। (२) गर्भाशय और भीतरी अंगोंका सूजना । (३) आमाशयके रोगोंका होना । जैसे; भूख न लगना, अजीर्ण, जी मिचलाना, प्यास और आमाशयकी जलन । (४) दिमागी रोगोंका होना । जैसे,-मृगी, सिरदर्द, मालिखोलिया या उन्माद और फ़ालिज वगैरः। (५) सीने या छातीके रोग होना । जैसे,-खाँसी और श्वासका तंग होना। (६) गुर्दे और जिगरके रोग । जैसे,--जलन्धर । (७) पीठ और गर्दनका दर्द । (८) आँख, कान और नाकका दर्द । (६) एक तरहका पित्तज्वर । डाक्टरीसे निदान-कारण । अँगरेजीमें रजोधर्मको “ऐमेनोरिया” कहते हैं । डाक्टरी-मतसे यह तीन तरहका होता है:-- (१) जिसमें खून निकलता ही नहीं। (२) जिसमें कम या ज़ियादा खून निकलता है। (३) जिसमें रजोधर्म तकलीफ़के साथ होता है। इसको "डिसमेनेरिया" कहते हैं। कारण । (१) जिसमें खून आता ही नहीं, उसके कारण नीचे लिखे अनुसार हैं: (क) बहुत चिन्ता या फिक्र करना। (ख ) चोट लगना। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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