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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०२ चिकित्सा-चन्द्रोदय । (ग) ज्वर या कोई और बड़ा रोग होना । (घ) सर्दी लगना या गला रह जाना। (ङ) क्षय-कास होना। (च) बहुत दिनों बाद पति-संग करनेसे दो-तीन महीनेको रज गिरना बन्द हो जाना। (२) जिसमें कम या जियादा खून गिरता है, उसके कारण (क) जिस स्त्रीके ज़ियादा औलाद होती हैं और जो बहुत दिनों तक दूध पिलाती रहती है, उसके अधिक खून गिरता है । इस रोगमें कमजोरी, थकान, आलस्य, कमर और पेड़ में दर्द और मुँहका फीकापन होता है। (३) जिसमें रजोधर्म कष्टसे होता है, उसमें ऋतुकाल के ३६४ दिन पहले, पीठके बाँसे में दर्द होता है, आलस्य, बेचैनी और वेदना, ये लक्षण नजर आते हैं। मासिक-धर्मपर होमियोपैथीका मत । होमियोपैथीवालोंने मासिक-धर्म बन्द हो जानेके नीचे लिखे कारण लिखे हैं:-- (१) गर्भ रहना। (२) बहुत रजःस्राव होना । (३) नये-पुराने रोग। (४) अधिक मैथुन । (५) ऋतुकालमें गीले वस्त्र पहनना। (६) बर्फ खाना या और कोई शीतल आहार-विहार करना । (७) अत्यधिक चिन्ता। इसके सिवा २।३ मास तक ठीक ऋतु-धर्म होकर, फिर दो-एक दिन चढ-उतरकर होता है। इसका कारण--कमजोरी और For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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