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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०० :चिकित्सा-चन्द्रोदय । (५) अगर मवादकी वजहसे रोग होगा, तो उस मवादकी पहचान उसी तरीसे होगी, जो रहम या गर्भाशयसे बह-बहकर आती होगी। (६) अगर शरीरके बहुत मोटे होनेके कारणसे रजोधर्म न होता होगा या गर्भ न रहता होगा, तो स्त्रीको दुबली करनेके उपाय करने होंगे। .. (७) अगर अधिक दुबलेपनसे मासिक धर्म न होता होगा या गर्भ न रहता होगा, तो स्त्रीको खून बढ़ानेवाले पदार्थ खिलाकर मोटी करनी होगी। (८) अगर गर्भाशयमें सूजन आ जाने या मस्सा हो जाने या और कोई चीज़ आड़ी आ जानेसे गर्भ न रहता हो या मासिक खून बाहर न आ सकता हो, तो उनकी यथोचित चिकित्सा करनी चाहिये। (६) अगर गर्भाशयमें गाढ़ी वायु जमा हो गई होगी और इससे मासिक धर्म न होता होगा, तो पेड़ फूला रहेगा और सम्भोगके समय पेशाबकी जगहसे आवाजके साथ हवा निकलेगी। उपाय-वायु-नाशक दवा दो । पेड़ पर वारे लगाओ। रोगन बेदहंजीर १०॥ माशे माउलअमूलमें मिलाकर पिलाओ। (१०) अगर रहम या गर्भाशयका मुँह सामनेसे हट गया होगा और इससे रजोधर्म न होता होगा या गर्भ न रहता होगा, तो सम्भोगके समय योनिमें दर्द होता होगा। (११) जब भगके मुखपर या उसके और गर्भाशयके मुँहके बीचमें अथवा गर्भाशयके मुंहपर कोई चीज़ बढ़कर आड़ी आ जाती है, तब मासिक खून बाहर नहीं आता। हाँ, पुरुष उस स्त्रीसे मैथन कर सकता है । अगर योनिके मुंहपर ही कोई चीज़ आड़ी आ जाती है, तब तो लिंग भीतर जा नहीं सकता । इस रोगको "रतक" कहते हैं। उपाय-बढ़ी हुई चीज़को नश्तर से काट डाला और घावको मरहमसे भर दो । For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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