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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir anArrna बिच्छू-विष-नाशक नुसख्ने । २६९ साथही, अरीठे महीन पीसकर बिच्छूके काटे हुए स्थानपर लगाने भी चाहियें। अगर अरीठे चिलममें रखकर तमाखूकी तरह पिये भी जायें, तब तो कहना ही क्या ? परीक्षित है। (५) लहसनका रस तीन तोले और शहद तीन तोले -दोनोंको मिलाकर, बिच्छूके काटेको, तत्काल, पिलानेसे अवश्य आराम होता है। (६) जरा-सा जमालगोटा पानीमें पीसकर बिच्छूके काटे आदमी के नेत्रोंमें आँजो । साथ ही, काटी हुई जगहपर भी जमालगोटा पीसकर मलो। नोट-एक या दो जमालगोटे पानी में पीसकर, काटे स्थानपर लगा देनेसे भयंकर बिच्छूका विष भी तत्काल शान्त हो जाता है। परीक्षित है। (७) तितलीके पत्तोंका स्वरस, थोड़ा-थोड़ा, कई बारमें, पिलानेसे बिच्छू और साँप दोनोंका विष उतर जाता है। नोट-तितलीके पत्तोंका रस काटे हुए स्थानपर लगाना भी ज़रूरी है। (८) कसौंदीका फल भूनकर खिलानेसे भी बिच्छूका विष उतर जाता है। नोट-कादीके बीज, पानीके साथ पीसकर, काटे हुए स्थानपर लगाने चाहिये । परीक्षित है। (६) एक चिलममें मोर-पंख रखकर, ऊपरसे जलते हुए कोयले या बिना धुएँ का अङ्गारा रखकर, बिच्छूके काटे आदमीको तमाखूकी तरह पिलाओ । अवश्य जहर उतर जायगा । परीक्षित है। नोट-साथ ही मोरपंखको धीमें मिलाकर काटे हुए स्थानपर उसकी धूनी भी दो । बड़ी जल्दी आराम होगा। (१०) “जैरुल तिजारब" नामक पुस्तकमें लिखा है, अगर बिच्छूका काटा हुआ आदमी बीस अङ्क उल्टे गिने, तो बिच्छूका पहर उतर जाय। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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