SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 291
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६० चिकित्सा-चन्द्रोदय । - नोट-सेबका रुब्ब, बिहीका रुब्ब, काहूका शीरा, कासनीका शीरा, ककड़ीखीरेका शीरा, लम्बी घीया, जौका पानी और कपूरकी टिकिया-ये भी इस मौकेपर लाभदायक हैं। . (६) बिच्छूके काटे हुए आदमीको ना-बराबर घी और शहद मिला हुआ दूध अथवा बहुत-सी खाँड़ मिलाया हुआ दूध पिलाना हितकारी है। वाग्भट्टने कहा है लेपः सुखोष्णश्च हितः पिण्याको गोमयोऽपि वा। पाने सर्पिर्मधुयुतं क्षीरं वा भूरिशर्करम् ॥ . बिच्छूकी काटी हुई जगहपर खली या गोबरका सुहाता-सुहाता लेप हितकारी है। इसी तरह घी और शहद मिला हुआ दूध या ज़ियादा चीनी मिला दूध पथ्य है । उन्हीं वाग्भट्ट महोदयने बहुत ही भयङ्कर बिच्छूके काटनेपर दही और घी मिलाकर पिलानेकी राय दी है । आप कहते हैं, बिच्छूके काटे हुए आदमीको गरम, चिकना, खट्टा, मीठा, बादीको नाश करनेवाला भोजन देना चाहिये । नोट--यूनानी हकीम भी दूध पीने की राय देते हैं । बिच्छू-विष-नाशक नुसखे । (१) "तिब्बे अकबरी' में लिखा है-साढ़े चार माशे हींगको ३३॥ माशे शराबमें मिलाकर, बिच्छूके काटे हुएको पिलाओ। अवश्य वेदना कम हो जायगी। (२) परीक्षा करके देखा है, थोड़ा-थोड़ा साँभर नोन खिलानेसे बिच्छूके काटे हुएको शान्ति मिलती है। (३) लहसन, हींग और अकरकरा इन तीनोंको शराबमें मिलाकर खिलानेसे बिच्छूका काटा आराम हो जाता है । (४) अरीठे चबानेसे भी बिच्छूका जहर उतर जाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy