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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३७ सर्प-विषकी सामान्य चिकित्सा । (४२) सिरसके पेड़की छाल, सिरसकी जड़की छाल, सिरसके बीज और सिरसके फूल चारों,-पाँच-पाँच माशे लेकर महीन पीस लो। इसे एक-एक चम्मच गोमूत्रके साथ दिनमें तीन बार पिलानेसे साँपका ज़हर उतर जाता है। नोट-सिरसकी छाल, जो पेड़में ही काली हो जाती है, बड़ी गुणकारी होती है। सिरसकी ८ माशे छाल, हर रोज़ तीन दिन तक साँठो चाँवलोंके धोवनके साथ पीनेसे एक साल तक ज़हरीले जानवरोंका विष असर नहीं करता । ऐसे मनुष्योंको जो जानवर काटता है, वह खुद ही मर जाता है। (४३) जामुनकी अढ़ाई पत्ती पानीमें पीसकर पिला देनेसे सर्पविष उतर जाता है। (४४) दो माशे ताजा कैंचुआ पानीमें पीसकर पिला देनेसे सर्पविष नष्ट हो जाता है। (४५) साँप या बावले कुत्ते अथवा अन्य जहरीले जानवरोंके काटे हुए स्थानोंपर फौरन पेशाब कर देना बड़ा अच्छा उपाय है। वैद्य और हकीम सभी इस बातको लिखते हैं। (४६) समन्दर-फल महीन पीसकर, दोनों नेत्रोंमें आँजनेसे साँपका ज़हर उतर जाता है। (४७) महुआ और कुचला पानीमें पीसकर, काटे हुए स्थानपर इसका लेप करनेसे साँपका जहर उतर जाता है। (४८) गगन-धूल पीसकर नाकमें टपकानेसे साँपका जहर उतर जाता है। (४६) कसौंदीकी जड़ ४ माशे और कालीमिर्च २ माशे--पीसकर खानेसे साँपका जहर उतर जाता है। (५०) कमलको कूट-पीस और पानीमें छानकर पिलानेसे क़य होती और सर्प-विष उतर जाता है । (५१) सँभालूका फल और हींगके पेड़की जड़--इन दोनोंके सेवन करनेसे साँपका जहर नष्ट हो जाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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