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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३८ चिकित्सा-चन्द्रोदय। " ...(५२) “तिब्बे अकबरी' में लिखा है, तुरन्तकी तोड़ी हुई ताजा ककड़ी साँपके काटेपर अद्भुत फल दिखाती है । (५३) बकरीकी मैंगनी सभी जहरीले जानवरोंके काटेपर लाभदायक है। (५४) "तिब्बे अकबरी” में लिखा है, लाशियाका दूध काले साँपके काटनेपर खूब गुण करता है। - नोट-“लाग़िया” एक दुधारी औषधिका दूध है । इसके पत्ते गोल और पीले तथा फूल भी पीला होता है। यह दूसरे दर्जेका गर्म और रूखा है तथा बलवान, रेचक और अत्यन्त वमनप्रद है, यानी इसके खानेसे कय और दस्त बहुत होते हैं । कतीरा इसके दर्पका नाश करता है। ..(५५) नीबूके नौ माशे बीज खानेसे समस्त जानवरोंका विष उतर जाता है। (५६) करिहारीकी गाँठको पानीमें पीसकर नस्य लेनेसे साँपका जहर उतर जाता है। __ (५७) घरका धूआँ, हल्दी, दारुहल्दी और जड़ समेत चौलाईइन सबको दहीमें पीसकर और घी मिलाकर पिलानेसे साँपका ज़हर उतर जाता है । परीक्षित है। (५८ ) बड़के अंकुर, मँजीठ, जीवक, ऋषभक, बला--खिरेंटी, गम्भारी और मुलहटी,--इन सबको महीन पीसकर पीनेसे साँपका विष नष्ट हो जाता है । परीक्षित है। नोट-इस नुसख और नं. ८ नुसत्र में यही भेद है, कि उसमें बला और मुलहटीके स्थानमें "मिश्री' है। ___ (५६) पण्डित मुरलीधर शर्मा राजवैद्य अपनी पुस्तकमें लिखते हैं, अगर बन्ध बाँधने और चीरा देकर खून निकालनेसे कुछ लाभ दीखे तो खैर, नहीं तो "नागन बेल"की जड़ एक तोले लेकर, आधपाव पानीमें पीसकर, साँपके काटे हुएको पिला दो। इसके पिलानेसे क्रय होती हैं और विष नष्ट हो जाता है। अगर इतनेपर भी कुछ जहर रह जाय, For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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