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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१६ - चिकित्सा-चन्द्रोदय । - (१३) जो मनुष्य दिनमें या मध्याह्न-कालमें सदा छाता लगाकर चलता है, उसे गरुड़ समझकर सर्प भाग जाते हैं। उनका विष-वेग शान्त हो जाता है और वे किसी हालतमें भी उसके सामने नहीं आते हैं। __ नोट-वर्षा और धूपमें तो सभी छाता लगाते हैं, पर इनके न होने पर भी छाता लगाना मुफीद है। छातेसे ईट-पत्थर गिरनेसे मनुष्य बचता है। साँप छातेवालेको गरुड़ समझकर भाग जाता है। एक बार एक जंगलमें एक मेमसाहिबा अकेली जा रही थीं। सामनेसे एक चीता आया और उनपर हमला करना चाहा । उनके पास उस समय छातेके सिवा और कोई हथियार न था । उन्होंने झटसे छाता खोल दिया। चीता न जाने क्या समझकर नौ दो ग्यारह हो गया और मेम साहिबाके प्राण बच गये। इसीसे किसी कविन बहुत सोचविचारकर ठीक ही कहा है: छुरी छड़ी छतुरी छला, छबडा पाँच छकार । इन्हें नित्य टिंग राखिये, अपने अहो कुमार ।। नोट---इन पाँचों छकारोंको यानी छुरी, छड़ी, छत्री, छल्ला और लोटाको सदा अपने पास रखना चाहिये। इनसे काम पड़नेपर बड़ा काम निकलता है । अनेक वार जीवन-रक्षा होती है। (१४) घरको खूब साफ रखो; विशेषकर वर्षामें तो इसका बहुत ही खयाल रखो। इस ऋतुमें साँप जियादा निकलते हैं। इसके सिवा बादल और वर्षाके दिनोंमें सर्प-विषका प्रभाव भी बहुत होता है। अतः घरके बिले, सूराख्न या दगज बन्द कर दो। अगर साँपका शक हो, तो घरमें नीचे लिखी धूनी दो: ( क ) घरमें गन्धककी धूनी दो। (ख) साँपकी काँचलीकी धूनी दो। इससे साँप भाग जाता है; बल्कि जहाँ यह होती है, वहाँ नहीं आता। (ग) कार्बोलिक एसिडकी बूसे भी सर्प नहीं रहता; अतः इसे जहाँ-तहाँ छिड़क दो। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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