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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष- उपविषोंकी विशेष चिकित्सा - " अफीम” । १२५ ( ५ ) बाग़की कपासके पत्तोंका रस पिलानेसे अफीमका विष उतर जाता है । नोट - नं० २-५ तकके नुसखे परीक्षित हैं । ( ६ ) अफीम खानेसे अगर पेट फूल जाय, अक्रीम न पचे, तो फौरन ही नाड़ीके पत्तों के सागका रस निकाल- निकालकर, दो-तीन बार, आध- पाव पिलाओ। इससे क्रय होकर, अफीमका विष शीघ्र ही उतर जायगा । ( ७ ) बहुत देर होने की वजहसे, अगर अफीम पेटमें जाकर पच गई हो, तो आध पाव आमले के पत्ते आध सेर जलमें घोट-छानकर तीन-चार बार में पिला दो । इस नुसखे से अफीम के सारे उपद्रव नाश होकर, रोगी अच्छा हो जायगा । नोट - नं० ६ और नं० ७ नुसख े एक सज्जनके परीक्षित हैं । (८) अरण्डी की जड़ या कोंपल पानी में पीसकर पीनेसे अफीमका विष उतर जाता है । ( ६ ) दो माशे हीरा हींग दो-तीन बारमें खानेसे अफीमका विष उतर जाता है | ( १० ) गायका घी और ताजा दूध पीनेसे अफीमका विष उतर जाता है । (११) अखरोटी गरी खानेसे अफीम उतर जाती है । ( १२ ) तेजबल पानीमें पीसकर, १ प्याला पीनेसे अफीमका विष उतर जाता है | (१३) कमलगट्टे की गिरी १ माशे और शुद्ध तूतिया २ रत्तीइन दोनों को पीसकर, गरम जलमें मिलाकर पीनेसे क्रय होतीं और अफीम तथा संखिया वग़ैरः हर तरहका विष निकल जाता है । (१४) दूध पीने से अफीम और भाँगका मद नाश हो जाता है । For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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