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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-चन्द्रोदय । . (१५) अरीठेका पानी थोड़ा-सा पीनेसे अफ्रीमका मद नाश हो जाता है। नोट-पाव-भर अफीमपर पाँच-सात बूंदें अरीठेके पान की डालो जायँ, तो उतनी अफ़ीम मिट्टीके समान हो जाय। .. (१६) नर्म कपासके पत्तोंका स्वरस, इमलीके पत्तोंका स्वरस और सीताफल के बीजोंकी गिरी--इनको पानीमें पीसकर पिलानेसे अफ्रीमका विष निस्सन्देह नाश हो जाता है। परीक्षित है। (१७) इमलीका भिगोया पानी, घी और राईके चूर्णका पानीइनके पिलानेसे अफीम उतर जाती है । (१८) फिटकरी और बिनौलोंका चूर्ण मिलाकर खिलानेसे अफीमका विष नाश हो जाता है। (१६) सुहागा घीमें मिलाकर खिलानेसे वमन होती और. अफीम निकल जाती है। (२०) “वैद्यकल्पतरु में एक सज्जनने अफीमका जहर उतारनेके नीचे लिखे उपाय लिखे हैं,--अगर जल्दी ही मालूम हो जाय, तो शीघ्र ही पेटमें गई हुई अफीमको बाहर निकालनेकी चेष्टा करो। डाक्टर आ जावे, तो स्टमक पम्प नामक यन्त्र द्वारा पेट खाली करना चाहिये। डाक्टर न हो तो वमन कराओ । वमन करानेके बहुत उपाय हैं:--(क) गरम पानी पिलाकर गलेमें पक्षीका * स्टमक पम्प (Stomach Pump) घरमें मौजूद हो तो हर कोई उससे काम ले सकता है; अतः उसको विधि नीचे लिखते हैं:___ स्टमक पम्पका लकड़ीवाला भाग दाँतोंमें रखो। पेटमें डालनेको नलीको तेलसे चुपड़कर, उसका अगला भाग मोड़कर या टेढ़ा करके, गलेमें छोड़ो। वहाँसे धीरे-धीरे पेटमें दाखिल करो। पम्पके बाहरके सिरेसे पिचकारी जोड़ दो। फिर उसमें पानी भरकर, ज़रा देर बाद उसे बाहर खींचो । इस तरह बाहर निकलनेवाले पानी में जब तक अफ़ीमकी गन्ध आवे तब तक, इस तरह पेटको बराबर धोते रहो। जब भीतरसे आनेवाले पानीमें अफीमकी गन्ध न पावे, तब इस कामको बन्द कर दो। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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