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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६ चिकित्सा-चन्द्रोदय । हो जाता है। फिर इसका गुलाबी या किसी कदर काला रंग हो जाता है । किसान इसको खुरच-खुरचकर इकट्ठा करते और इसीसे अफीम बनाकर भारत सरकारके हवाले कर देते हैं । पोस्ताकी खेतीका पूरा हाल लिखनेसे अनेक सफे भरेंगे। हमें उतना लिखनेकी यहाँ जरूरत नहीं। यह दो-चार बातें इसलिये लिख दी हैं, कि अनजान लोग जान जायें, कि अझीम खेती द्वारा पैदा होती है और यह पोस्तेकी डोंडियोंका रस-मात्र है। इसीसे अफीमको संस्कृत में खसखस-फल-क्षीर, पोस्त-रस या खसखस-रस भी कहते हैं। संस्कृतमें अफीमके बहुतसे नाम हैं। जैसे,—आफूक, अहिफेन, अफेनु, निफेन, नागफेन, भुजङ्गफेन या अहिफेन । अहि साँपको कहते हैं और फेन झागोंको कहते हैं। भुजङ्गका अर्थ सर्प है और फेनका भाग। इन शब्दोंसे ऐसा मालूम होता है, कि अफीम साँपके झागोंसे तैयार होती है, पर यह बात बिलकुल बेजड़ है। ऊपरका पैरा पढ़नेसे मालूम हो गया होगा, कि अफ़ीम खेतमें पैदा होनेवाले एक वृक्षके फलका रस है। अब यह सवाल पैदा होता है, कि भारतके लोगोंने इसका नाम अहिफेन, भुजङ्गफेन या नागफेन क्यों रक्खा ? मालूम होता है, अफीमके गुण देखकर, गुणोंके अनुसार इसका नाम अहिफेन = साँपका फेन रखा गया, क्योंकि साँपके फेन या विषसे मृत्यु हो जाती है और इसके अधिक खानेसे भी मृत्यु हो जाती है । वास्तवमें, यह शब्दार्थ सच्चा नहीं। ___ असलमें, अक्रीम इस देशकी पैदायश नहीं। आलू और तमाखू जिस तरह दूसरे देशोंसे भारतमें आये, उसी तरह अफीम भी दूसरे देशोंसे भारतमें लाई गयी; यानी दूसरे देशोंसे पोस्ताके बीज लाकर, भारतमें बोये गये और फिर कामकी चीज़ समझकर, इसकी खेती होने लगी। “वैद्यकल्पतरु" में एक सज्जनने लिखा है कि, ग्रीक भाषामें "ओपियान" शब्द है। उसका अर्थ "नींद" For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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