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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा--"अफ्रीम"। ६५ किमत्र बहुनोक्तेन जयपालेनैव तत्क्षणम् । घृतं शीताम्बुना पेयं भञ्जकं सर्पदंशके ॥ (२) जमालगोटेकी जड़, चीतेकी जड़, थूहरका दूध, प्राकका दूध, गुड़, भिलावे, हीरा कसीस और सैंधानोन-इन सबका लेप करनेसे फोड़ा फूट जाता और पीड़ा मिट जाती है । (३) करंजुएके बीज, भिलावा, जमालगोटेकी जड़, चीता, कनेरकी जड़, कबूतरकी बीट, कंककी बीट और गीधी बीट--इन सबका लेप फोड़ेको तत्काल फोड़ देता है। - - - भ अफीमका वर्णन और उसकी विष-शान्तिके उपाय । OCO सखसके दानोंको, कातिकके महीने में, खेतोंमें बो देते हैं, Wख १०।१२ दिन में पेड़ उग आते हैं। फूल निकलने तक खेतोंकी सिंचाई करते हैं । पोस्त के पेड़ कमर या छाती-भर अथवा दोसे चार हाथ तक ऊँचे होते हैं। पत्ते तीन अंगुल चौड़े और लम्बे होते हैं। अगहनके महीने में सीधी डण्डीवाला फूल निकलता है। फूल दो तरहके होते हैं:-(१) लाल, और (२) सफ़ेद । भारतमें सफेद फूलका पेड़ बहुत कम बोया जाता है । फूलसे असंख्य बीजोंवाला फल होता है। उसे बोंडी या डोंडी कहते हैं। फल पकनेसे पहले माघ-फागुनमें, सवेरे ही, डोंडीके ऊपर तीन नोकके औज़ारसे चोंच-जैसा छेद कर देते हैं । उन छेदोंसे धीरे-धीरे रस बहता है। रस डोंडीके बाहर आते ही, हवा लगनेसे, सफ़ेद For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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