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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-चन्द्रोदय । (६) नमक पानीमें घोलकर पीनेसे धतूरेका जहर उतर जाता है। .. (७) कपासके रसको पीनेसे धतूरेका मद दूर हो जाता है । ____ नोट-धतूरेके बीजोंका विष-कपासके बीज पीसका पीनेसे; धतूरेकी डालीका विष-कपासकी डाली पीसकर पीनेसे; और धतूरेके पत्तोंका विष कपासके पत्ते पीसकर पीनेसे निश्चय ही उतर जाता है । (८) पेठेके रसमें गुड़ मिलाकर खानेसे पिंडालूका मद नाश हो जाता है। (६) बहुतसा गायका घी पिलानेसे धतूरे और रसकपूरका विष उतर जाता है। परीक्षित है। (१०) बैंगनके बीजोंका रस पीनेसे धतूरेके विषकी शान्ति होती है। (११) दूध-मिश्री मिलाकर पीनेसे धतूरेका ज़हर उतर जाता है । .00.. .... ........ ०००ce .. 00.00 ० ०० ० ...saas.9..'o.. ......... 00 0000०००००००००००० 00000000002068 •703 .....१००००००.00000....०००००००००००००००००००००००००० 00000000000 00.. ac.00a ०००'.-000nnaanaas.०० acnaa Unusoo. 0 6000 . ० चिरमिटीका वर्णन और उसकी विष-शान्तिके उपाय । 2000.......००.०० REASE , रमिटी दो तरहकी होती है-(१) लाल, और (२) च । सफ़ेद । निघण्टुमें लिखा है, दोनों तरहकी चिरमिटी केशोंhis as को हितकारी, वीर्यवर्द्धक, बलदायक तथा वात, पित्त, ज्वर, मुंह सूखना, भ्रम, श्वास, प्यास, मद, नेत्ररोग, खुजली, व्रण, कृमि, गंजरोग और कोढ़ नाशक होती हैं। और एक ग्रन्थमें लिखा है, दोनों तरहकी चिरमिटी स्वादिष्ट, कड़वी, बलकारी, गरम, कसैली, चमड़ेको उत्तम करनेवाली, बालोंको For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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