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________________ S Maham An Kende Acharya Sun Kaisager Gamandi सान्वय ॐॐ भाषान्तर चंद्रयशः II निल: चेटकपूर कस्तूरीमुख्य गंधः, दशनयुतिः रेणुकणत दिव्यदुकूला ॥ २७ ।। युग्मं ॥ अर्थ:-जे आ राणीनी कांति तो सुवर्णने कई हिसाबमां गणती नथी, तेणीनी गति तो मदोन्मत्त हाथीने पण तृणसमान लेखेछे, चरित्रं तेणीना नेत्रोना (चपल) विलासो तो घोडाओने पण नोकर गणे छे, अने तेओना नखो तो मणिोने कांकरासरखा लेखेछे, ॥२६॥ ॥१०॥ तेना मुखना वायुए तो कपूर तथा कस्तूरीआदिकनी सुगंधिने पण चाकररूप गणी छे, तथा तेना दांतनी कातिए तो दिव्य श्वेत रेशमी साडीने पण रजकणसरखी लेखी छे. ॥ २७ ॥ युग्मं ॥ युक्तं तयैकया हृन्मे राज्यभोगे श्लथीकृतम् । एतद्भोगं श्लथीकतु कोऽभ्युपायोऽस्तु मेधुना ॥ २८॥ अन्वयः-तया एकया युक्तं मे हृद् राज्य भोगे इलथीकृतं, एतद्भोग श्लथीकतु अधुना मे कः अभ्युपायः अस्तु. ।।२८॥ अर्थः–ते एक राणी साथे जोडायेलं मारुं मन राज्यकार्यमां नरम पड़ी गयुं छे, (माटे ) तेणीना भोगविलासने नरम पाडवा माटे हवे मारे कयो उपाय शोधको ।। २८ ।। किमस्या न महानीलीलीलां दधतु कुन्तलाः । हृद्वर्तिभिः कलुषितं श्रुतं मे क्षीरहारि यैः ॥ २९ ॥ अन्वयः-अस्याः कुंतलाः किं महानीली लीला न दधतु ? हद्वातिभिः यैः मे क्षीरहारि श्रुतं कलुपितं ॥ २९ ॥ अर्थः-आ राणीना (मस्तकपरना) केशो शुं पाकी गळीनी क्रीडाने (श्यामपणाने) नधी धारण करता? (केमके मारा) हृद51 यमा रहेला एवा जे केशोए मारुं दूधसरखं मनोहर ( उज्ज्वल ) ज्ञान मलीन कर्य छे. ॥ २९ ।। For Private And Personal Use Only
SR No.020143
Book TitleChandrayash Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1928
Total Pages39
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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