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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org } ( ८ ) ॥ श्री सुविधिनाथजीनुं चैत्यवंदन ॥ ॥ विधी भली विघ सेवतां, भय भावठ भांजे ॥ सुग्रीव राय सुत सेवतां, दुस्मन नवी गांजे ॥ १ ॥ मगर लंछन मन मोहतुं, नयरी काकंदी || दोय लाख पूर्व आयु जोन, बोले जय वंदी ||२|| एक्सो धनुषवर देहडीए, उज्वल वर्ण उदार ॥ रूपविजय प्रभु भवी नमो, रामा मात मल्हार || ३ || इति ॥ ॥ बीजु ॥ 1 || सुविधिनाथ सुविधिनमुं श्वान योनि सुखकार ॥ आव्या आणत स्वर्गथी, कारुंदी अवतार || १|| राक्षस गणगुणवंतने, धनराशि रिखमूल वरस चार छमस्थमा, कर्म शशक शार्दूल ॥२॥ मल्लितरु त केवली, सहस मुनि संघात ॥ ब्रह्म महोदय पदवर्या, वोर नमे परभात || ३ || इति ॥ १ ॥ श्री शीतलनाथस्वामीनुं चैत्यवंदन ॥ || दशमा स्वर्ग थको व्या, दशमा शीतलनाथ ॥ भद्दिलपुर धन राशिए, मानव गण शिवसाथ || १ || वानर योनि जिणंदनी, पूर्वाषाढा जात । तिग वरसांवरे केवली. प्रियंगु विख्यात ॥ २ ॥ संयम घर सहसें वर्षा ए, निरुपम पद निर्वाण । वीर कड़े प्रभु ध्यानम्री, भव भव कोडी कल्याण || ३ || इति ॥ १ हरण २ सिंह. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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