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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ बीजु.॥ ॥ भद्दोलपुर दृढ़ रथ राय, वंदा पदराणी ॥ शीतल जिनवर जन्मता, जननी कीर्ती गवाणी ॥ १॥ श्री वच्छ लंछन नेवु धनुष, देह सोवन समाणी ।। एक लाख पूर्व आयु मान, कहे केवलनाणी ॥ २ ॥ सुखदायक दशमो सदाए, दे दोलत भरपुर ।। रुपविजय कहे भवि नमो, मह उगमते सुर ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥ श्री श्रेयांसनाथजीर्नु चैत्यवंदन ॥ ॥ वीष्नुराय कुल केशरी, माता विष्णु जायो । खडग लंछन एंशी धनुष, सवी सुरपती गायो ॥ १ ॥ लाख चोराशी वरस आयु, भवियण मन भायो ॥ श्री श्रेयांस जीनेश्वर, दीठे मुख पायो ॥ २ ॥ सोवन वरणी देहडोए, सोंह पुरोए अवतार ॥ रूपविजय कहे मुन मल्यो, त्रिभुवन तारण हार ॥३।। इति ॥ ॥ बीजु.॥ ॥ अच्युतथी प्रभु उतरया, सींहपुरे श्रेयांस ॥ योनि वानर देवगण, देवकरे परशंस ॥१।। श्रवणे स्वामी जनमीया, मकर राशि दुगवास || छद्मस्था तिदुक तले, केवल महिमा जास ॥ २ ॥ वाचंयम सहसे सहिए, भव संततिनो छेद ।। श्रीशुभ वीरने सांइ अविचल धर्म सनेह ॥ ३॥ ॥श्री वासुपूज्य जिन चैत्यवंदन ॥ ॥ पाणत थकी प्रभु पांगर्या, चुंपे चंपा गाम ॥ शिवमारग १चव्या. For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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