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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाच्यं ९४९ वाडवः वाच्यं (नपुं०) कलंक, निन्दा। वाजीकरण (वि०) शक्ति विशेष, कामक्रीड़ा से उत्तेजित। अभिव्यक्त अर्थ जो अभिधा द्वारा ज्ञात हो। लक्ष्य, व्यंग। शरीर पुष्टि के लिए प्रयुक्त प्रयोग। (वीरो०८/३५) ०वाच्यवैचित्र्यप्रतिभासादेव चारुताप्रतीतिः। (काव्य प्रकाश | वाञ्छ (सक०) चाहना, अभिलाषा करना, इच्छा करना। १०) (जयो० वीरो० ९/७१) (सुद० १३१) विधेय-क्रिया की वाच्यता। वाञ्छक (वि०) इच्छुक। (मुनि० २४) वाच्यता (स्त्री०) वचन योग्यता। (जयो०वृ० ११/८३) वाञ्छनं (नपुं०) चाह, इच्छा, कामना, अभिलाषा। (सुद० ४/४२) निन्दा, कलंक, अपमान। (जयो०वृ० ११/८३, जयो० वाञ्छा (स्त्री०) इच्छा, चाह। (जयो०७० ४/४१) अभिलाषा, १/१८) कामना। (सुद० १२६) तृष्णा, पिपासा (जयो०६/८१) ०अभिधेय, अभिधानीय, गुणवाचक विशेषण। नकुलस्य वाञ्छिका (स्त्री०) इच्छा, अभिलाषा। (जयोवृ० १२/२०) वाच्यता अभिधेयः। वाञ्छित (वि०) [वाञ्छ+क्त] अभिलाषित। (जयो० १७/२७) सार्थका। (जयो० ११/१३) इच्छित, अभीष्ट, अभिलषित, ईहित (जयो० ३/६३) वाच्यत्व (वि०) वचन विशेषता। (सम्य० १४२) (जो० २/९३) वाच्य-वाचकः (पुं०) वाच्य और वाचक। (जयो०५/४५) वाञ्छितं (नपुं०) इच्छा, चाह। साध्य साधन, लक्ष्य-लक्षी। वाञ्छितदायिनी (वि०) कामदा। (जयो० ११/९४) वाजः (पुं०) [वज्+घञ्] बाजू, डैना। वाञ्छाकत्री (स्त्री०) तृषा करने वाली। (जयो०वृ० २२/५) ०पंख, बाज पक्षी। वाञ्छापूर्ति (स्त्री०) आकांक्षा की पूर्ति, कामनापूर्ति। (सुद०९२) वाञ्छारहित (वि०) कामना रहित। (जयो०वृ० १६/४४) ०बाण का पंख। वाञ्छितार्थ (वि०) इच्छार्थ। (वीरो० ९/५). युद्ध, संग्राम। वाञ्छितप्राप्ति (स्त्री०) इच्छापूर्ति। (जयो० १९/६८) ०ध्वनि। ___ अभीष्टसिद्धि। (जयो०वृ० २३/३५) वाजं (नपुं०) घृत, स्त्री। वाञ्छिन् (वि०) [वाञ्छ्+णिनि] ०अभिलाषी, इच्छुक। ___ जल, वारि। वाञ्छैकसम्भावना (स्त्री०) इच्छा की अद्वितीय सम्भावना। वाजपेयः (पुं०) यज्ञ मंत्र। (जयो० १७/१२) वाजसनेयिन् (पुं०) शुक्लयजुर्वेद का अनुयायी। वाटः (पुं०) [वट्+घञ्] बाड़ी, घेरा, वाजिन् (पुं०) [वाज+इनि] अश्व, घोड़ा। (जयो० ३/११४) ०श्मशान। (जयो० ३/२७) (दयो० २८) उद्यान, उपवन, वाटिका, बगीची। ०बाण। वाटिका (स्त्री०) बगीची, उपवन, पक्षी, बाजपक्षी। उद्यान, उपवन, रम्य भूखण्ड। वाजिकञ्चकः (पुं०) थामना। (जयो० १३/३८) ०आरामगृह, फलोपवन। वाजिपृष्ठः (पुं०) गोल सदाबहार। वाटी (स्त्री०) [वाट ङीष] वाटिका, बगीची। (समु०५/१८) वाञ्छिनिष्पत्ति (स्त्री०) इच्छापूर्ति। उपवन, आरामस्थल, विश्राम स्थल। वाजिभक्षः (पुं०) छोटी मटर, बठरा। ०आवास, निवास भू-भाग। वाजिभोजनः (पुं०) लोबिया। ०सड़क, राजपथ। वाजिमेधः (०) अश्वमेध यज्ञ। पानी रोकने के लिए बांध, वरबन्ध। वाजियोग्यः (पुं०) जीतने योग्य। (वीरो० १७/१४) ०मोटे आटे से निर्मित गोलाकार रोटी। वाजिशाला (स्त्री०) अस्तबल, घुड़साल। वाद्या (स्त्री०) अतिवला नामक पौधा। वाजिराजि (स्त्री०) घोड़ों का समूह। (जयो० १३/२३) वाड् (अक०) स्नान करना, नहाना, डुबकी लगाना। वाजीकर (वि०) [वाज+त्त्वि+कृ+अच्] कामक्रीड़ा से पीड़ित। | वाडवः (पुं०) [वडवाया अपत्यं वडवानां समूहो वा अण्] For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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