SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वाडवं ९५० वातापिः | वड्वानल। विप्र, ब्राह्मण। (वीरो० १/२२) वाडवं (नपुं०) अश्व समूह। वाडवधूमकेतुः (पुं०) वडवानल। (जयो० २०/२७) वाडवाग्निः (स्त्री०) समुद्री ज्वाला। वाडवानिलः (पुं०) समुद्री आग। वाडवेयः (पुं०) [वडवा+ढक्] ०सांड, घोड़ा, अश्व। वाडव्यं (नपुं०) [वाडव+यन्] विप्र समूह। वाढं (अव्य०) हां! वाढमिति सत्य प्रतीतिकमेव। (जयो० १६/३२) बढ़ती हुई। (मुनि० १४) वाणं (नपुं०) बाण, तीर। वाणि: (स्त्री०) [वण+इण] बुनना, जुलाहे की खड्डी। ०करघा। वाणिजः (पुं०) [वणिज्+अण] व्यापारी, सौदागर। वाणिज्यं (नपुं०) [वणिज्+ष्यज्] वैश्यकार्य, व्यापार लेन-देन क्रय-विक्रय। वाणिज्य वाणिजा कर्म (महा०पु० १६/८२) इतस्ततस्तत्प्रक्षेप्तुं, क्रमो वाणिज्यमिष्यते। (हि०सं०९) वाणिनी (स्त्री०) [वण+णिनि ङीष] चतुर स्त्री, नर्तकी, अभिनेत्री। ०शृंगारप्रिया, स्वेच्छाचारिणी। वाणी (स्त्री०) [वण्+इण्+ङीप्] ०वचन, कथन, भाषण। (जयो० ११/३३) (सुद० ७८) । ०भाषा, साहित्यिक कृति। वाणी कृपाणीव च वर्म भेत्तुम्। (वीरो० १/३८) भारती, सरस्वती, विद्या अधिष्ठात्री। वाणी नामक सखी। (जयो० ६/३४) प्रशंसा। (जयो० १७/३३) वाणीभूषणं (नपुं०) वाक्पटु। (सुद० १/४६) वाण्टवत् (वि०) बांटे की तरह, पशु आहार की तरह। (जयो० २/२०) वात् (सक०) हवा करना, पंखा करना। ०प्रसन्न करना। वात (भू०क०कृ०) [वा+क्त] ०बही हुई, इच्छित। वातः.(पुं०) पवन, वायु, हवा। (जयो० १५/९३) (सुद० ११९) मठिवात्, सन्धिवात। जोड़ों की पीड़ा। वातकः (पु) [वात्+कन्] जार, प्रेमी। वातकर्मन् (नपुं०) पाद मारना, पैर पटकना। वातकुंडलिका (स्त्री०) मूत्ररोग, बूंद बूंद मूत्र आना। वातकुंभः (पुं०) गण्डस्थल, हस्तिकुम्भस्थल। वातकुमारः (पुं०) देव, जो तीर्थंकर के बिहार मार्ग को शुद्ध करते हैं। वातकेतुः (पुं०) धूल। वातकेलिः (स्त्री०) कानाफुसी, प्रेमालाप। प्रेमी, प्रेक्षिका। वातगजः (पुं०) वातगुल्मः (पुं०) अंधड़, आंधी। गठियारोग। वातज्वरः (पुं०) मलेरिया, वायु प्रदूषण से उत्पन्न रोग। वातततिः (स्त्री०) वायुवृत्तिः। (जयो०२१/९०) वातनिसर्गः (पुं०) अपान से वायु निकलना। वातपुत्रः (पुं०) हनुमान, पनवनपुत्र, मारुती। वातपोथः (पुं०) पलाश वृक्ष, ढाक तरु। वातपेरित (वि०) वायु प्रभावित। (जयो०५/३) वातमंडली (स्त्री०) भंवर, जलावर्त। वातमृगः (पुं०) तेज दौड़ने वाला हिरण। वातर (वि०) वेगशील, झंझामय, तूफानी। वातरक्तं (नपुं०) गठियावात। वातरंग (पुं०) गूलर का वृक्ष। वातरायणः (पुं०) ०बाण। ०चोरी, शिखर। ०सरल वृक्ष। वातरुपः (पुं०) प्रचण्ड वायु वेग, तीव्र वेग युक्त वायु। आंधी, तूफान। ०इन्द्रधनुष। रिश्वत। वातरोगः (पुं०) गठिया रोग। वातल (वि०) तूफानी, वेगशील। वातवसनता (वि०) दिगम्बरता। वातवसनता साधुत्वायेति। (वीरो० १३/३१) वातव्याधिः (स्त्री०) गठियावात रोग। वातवृद्धिः (स्त्री०) अंडकोष की सूजन। वातशीष (नपुं०) पेडू। वातशूलं (नपुं०) उदर पीड़ा, अफारा, अजीर्ण। वातसारथिः (पुं०) अग्नि, आग। वातापिः (पुं०) एक राक्षस विशेष। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy