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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाक्ययोगः ९४७ वाग्यत् वाक्ययोगः (पुं०) वाक्य संयोग, रचना प्रयोग। वाग्दरिद्र (वि०) वचनों में कमी, कम बोलने वाला। वाक्यरचना (स्त्री०) शब्द क्रम, अक्षर विन्यास। वाग्दलं (नपुं०) ओष्ठ। वाक्यरीतिः (स्त्री०) रचना पद्धति। वाग्दानं (नपुं०) सगाई, वचनदान। (जयो०७० १४/९) आपसी वाक्यशुद्धिः (स्त्री०) वचनशुद्धि। (हित० ५१) वचन बद्धता। वाक्य विन्यासः (पुं०) शब्द योजना, प्रबन्ध योजना। वाग्दुष्प्रणिधानं (नपुं०) अर्थ का बोध न होना। वाक्यशेषः (पुं०) किसी बात का अवशिष्ट भाग। वाग्दुष्ट (वि०) अश्लील भाषा, निंदक। वाक्संयमः (पुं०) वचन समय। वाग्देवता (स्त्री०) सरस्वती। (समु० १/११) वाक्यसुरभिः (स्त्री०) शब्द सौरभ। वाग्दोषः (पुं०) वचन दोष, वाक्य अशुद्धि। वाक्यावली (स्त्री०) वचनावली। (वीरो० १८/५३) वाग्निबन्धन (वि०) वचनों पर आश्रित रहने वाला। वाग् (नपुं०) वाग देना, आवाज करना। (सुद० ३/४१) वचन वाग्बली (स्त्री०) कथनबल बुद्धि। (सुद० २/२७) वाग्मित (वि०) भाषणपटु। (जयो० ३/२७) विचारवान्। वागरः (पुं०) [वाचा इयर्ति गच्छति-वाच+ऋ+अच] ऋषि, (जयो० १४/७२) मुनि, पुण्यात्मा। वाग्युद्ध (नपुं०) वाद विवाद, चर्चा, आपसी वचनिक कलंक। विद्यार्थी। वाग्योगः (पुं०) वचन वर्गणा का आलम्बन। शूरवीर, योद्धा। वाग्वजं (नपुं०) कठोर शब्द, कठिन व्यवहार। ०सान, सिल्ली। वाग्विदग्ध (वि०) वाक्यपटु, बोलने में चतुर। ०बाधा, रुकावट। वाग्विदग्धा (स्त्री०) मधुर भाषिणी। वागलंकरणं (नपुं०) वचन शोभा। (जयो० २/५४) वाक् | वाग्विभवः (पुं०) वचन वर्गणा, वचनशील, वर्णनपद्धति, आभरण। विवेचन कुशलता। वागा (स्त्री०) वल्गा, लगाम। वाग्विलासः (पुं०) प्रांजल भाषा। ०वचन कौशल। वागधिष्ठात्री (स्त्री०) सरस्वती। (जयो० २/४१) वाग्विशुद्धिः (स्त्री०) वचनशुद्धि। (जयो० २/२५) वागाडम्बरः (पुं०) वचनसमूह, शब्दजाल, वाक्चातुर्य, वाक्पटु। वाग्व्यवहारः (पुं०) विचार विमर्श। ०उचित वचन व्यापार। वागात्मन् (वि०) वचन युक्त, शब्द सहित। वाग्व्ययः (पुं०) शब्द ह्रास। ०वचनिक त्रुटि। वागाश्रित (वि०) सगाई। (जयो० १४/९) वाग्दानात्मिक। वाग्व्यापारः (पुं०) वचन पद्धति। (जयो० १४/७) वागुरा (स्त्री०) [वा हिंसने उरच् गन् च] पिंजला, जाल, वागीशः (पुं०) वाक्यपटु, चतुर, होशियार। फंदा, रस्सी। (जयो० ३/३९) बन्धनवध्री (जयो० ३/३९) सुवक्ता। ०बहेलिया, शिकारी। ०ब्रह्मा। वागुरिकः (पुं०) [वागुरा+ठक्] बहेलिया, शिकारी। वागीश्वरः (पुं०) वाक्यपटु। वाग्भटः (पुं०) वाग्भट्टाचार्य, अष्टांगहृदयग्रन्थकार, आयुर्वेद ____०ब्रह्मा। शास्त्रनिर्माता। (सम्य० ३/१६) वागृषभः (पुं०) वाक्पटु। वाग्मिन् (वि०) [वाच् अस्त्यर्थे ग्मिनि: चस्य कः] ०वचनचातुर्य, वाग्गुप्तिः (स्त्री०) वचनगुप्ति, असत्य वचनों का परित्याग। वाक्पटु। वाग्जाल (नपुं०) शब्दाडम्बर, कथन समूह। बातूनी। तर्कसंगत विचार। वाग्मिन् (पुं०) प्रवक्ता, सुवक्ता। वाग्जीवी (स्त्री०) वैतालिक, स्तुतिपाठक। वाग्य (वि०) [वाचं यच्छति-यम् ड] मितभाषी। वाग्डम्बरः (पुं०) निस्सार उक्ति। . सत्य बोलने वाला। (सुद० १/१) वाग्दण्डः (पुं०) भर्त्सना पूर्ण युक्ति। वाग्यः (पुं०) विनय, नम्रता। वाग्दत्त (वि०) प्रतिज्ञात, संबद्ध, वचन सम्मति। वाग्यत् (वि०) मौनी। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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