SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वमनं ९३१ वरदा (जयो० १३/१००) मतङ्गजैस्तैर्वम थुच्छलेन तदेतदेवो द्वलितं बलेन। (जयो० ३/१००) वमनं (नपुं०) [वम ल्यट] कै. उल्टी। (जयो०व०६/१०) ०बाहर निकालना, फेंकना। (जयो०७० २६/७९) वमनः (०) गांजा। वमनी (स्त्री०) जोंक। वमनीया (स्त्री०) मक्खी। वमिः (स्त्री०) [वम् इनि] अग्नि, आग। ०बीमारी, जी मिचलाना। वमिः (पुं०) ठग, छली व्यक्ति। वमिहेतु (पुं०) वमन का कारण। (वीरो० २२/९०) वमितवंत [वम् शत्] वमन करने वाला। (जयो०वृ० १/८२) वमी (स्त्री०) [वमि ङीष] उलटी करना। वंभाखः (पुं०) रंभाने की आवाज। वभ्रः (स्त्री०) चिंडटी। वभ्रकूटं (नपुं०) बॉबी, बिल। वय् (सक०) जाना, पहुंचना। वयनं (नपुं०) [वि+ल्युट्] बुनना। वयनकीटः (पुं०) मकड़ी, ऊर्णनाम। (जयो० २५/७२) वयस् (नपुं०) आयु, जीवन, यौवन, बाल्यकार। ०अवस्था, वय, जवानी। वयस्तु यौवने बाल्यप्रभृतौ वया इति वि (जयो० १४/१६) वयस् (पुं०) काक, कौवा। वयस्कर (वि०) स्वास्थ्य देने वाला, आयु बढ़ाने वाला। वयस्गत (वि०) वयस्क, वयोवृद्ध। वयस्थ (वि०) परिपक्वावस्था। वयस्था (स्त्री०) सखि। सहेली, समान वयस्का। वयस्य (वि०) [वयसा तुल्यः यत्] समवस्क, मित्र, साथी। (समु० ३/१२) समान अवस्था वाला। (सुद०३/३५) वयः सन्धि (स्त्री०) तारुण्यमूर्ति। (जयो०वृ० १६/२) वयस्यवर्गः (पुं०) मित्र समूह। (समु० १/३१) वयुनं (नपुं०) ज्ञान, विवेक, प्रत्यक्षज्ञानशक्ति। वयोधस् (पुं०) [वयो यौवनं दधाति-वयस्+धा+असि] युवा, प्रौढ़ व्यक्ति। वयोभियुक्त (वि०) पक्षियों सहित, वयसा नवयौवनेनाभिव्युक्ता, वदोभि, पक्षिभिरभिर्युक्ता। वयोरंग (नपुं०) [वयसो रंगमिव] सीसा, दर्पण। वयोवद्धः (पुं०) वय में अधिक। (जयो० २०६८१, दयो०५९) वर् (सक०) मांगना, चुनाना, छांटना, वरण करना, वरिष्यति (जयो० ३/८८) वर (वि०) [वृ-कर्मणि अप्] श्रेष्ठ, प्रधान, प्रमुख, उत्तम, अच्छा। (सुद० १/३७) दूल्हा, पति। (दयो०७९) वरमन्वेषयेद्विद्वान् कन्यायै सर्व सम्मत। (दयो० ७९) याचना, अनुरोध, अनुनय, विनती, प्रार्थना। (सुद०९३) जमाता, जमाई, कुंवर सा। ०कामुक, कामासक्त। तीक्ष्ण। (जयो०१० ५/९५) ०कामना, इच्छा, वाञ्छा, चाह। उत्तम भाग। ० बल (जयो० ) वरेत्यत्र रलयोरभेदाद बला बलवती। (जयो०) वरं (नपुं०) केसर, जाफरान। वरंग (वि०) उत्तम अंग। वरंगः (पुं०) हस्ति, हाथी। सिर, मस्तका वरंगना (स्त्री०) कमनीय स्त्री। वरणं (नपुं०) प्राकार, परकोटा। (जयो० २६/५७) कोट (वीरो० २/२९) वरचंदना (नपुं०) देवदारु, चीड़ की लकड़ी। वरणं (नपुं०) ग्रहण करना, लेना, स्वीकार करना। (जयो०वृ ५/९५) वरटः (पुं०) हंस। वरटापतिः (पुं०) हंस। (जयो० २५/५२) वरणार्थ (वि०) वरण करने के लिए। (जयो०वृ० ५/९५) वरतनु (वि०) सुन्दर शरीर वाला। वरतनु (स्त्री०) सुन्दर स्त्री, कामिनी। वरतन्तु (पुं०) एक ऋषि विशेष। वरद (वि०) मंगलप्रद, अभीष्टदायक, वरदायक, वरदेने वाला। (जयो० १२/३) वरदरङ्गः (पुं०) यथेष्ट वरदान का स्थान। वरं ददातीति वरदो यो रङ्गः स्थानम्। (जयो० ७/६५) वरदर्शन (वि०) सुदर्शन, सुन्दर दर्शन, वरदायक, वरदान। वरदा (स्त्री०) पुत्री, कन्या, कुमारी कन्या। 'वरं वल्लभं ददातीति वरदा' (जयो०५/१४) वरं यथेष्टं ददातीति यावत् (जयो० ५/१४) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy