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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लघुकाय ९०५ लञ्जः ०चुस्त, फुर्तीला, चपल। प्रिय, मनोहर, सुंदर. रमणीय। लघुकाय (वि०) हलके शरीर वाला। लघुक्रम (वि०) जल्दी चलने वाला। लघुखट्विका (स्त्री०) खटोला। लघुगोधूमः (पुं०) छोटी जाति का गेहूं। लघुचित्त (वि०) हलके मन वाला। लघुचेतस् (वि०) हलके चित्त वाला। लघुजङ्गलः (पुं०) लवा पक्षी। लघुता/लघुत्व (वि०) हलकापन, लाघव। (जयो० २०/६३) अल्पत्व (जयो० २०।८१) (वीरो० २२/३२) ममाऽमृदुगुरङ्कोऽयं सोमत्वादतिवर्त्यपि। विकासयतु पूषेव मनोऽम्भोज मनस्विनाम्।। (वीरो०२२/३२) नगण्यता, महत्त्वहीनता, तिरस्कार। ०अपमान, निरादर। संक्षेप, संक्षिप्तता। सुगमता, सुविधा। निरर्थकता, स्वेच्छाचारिता। लघ्वी (स्त्री०) [लघु+डीष] हलकी, अल्प, लघुतरा। कोमलांगी स्त्री। लङ्का (स्त्री०) लंका, रावण की राजधानी। लङ्कार्थ (वि०) व्यभिचारिणीनार्थ। (वीरो० ) लाधिपः (पुं०) रावण। लङ्काधीशः (पुं०) रावण। (सुद०८८) लङ्कापति (देखो ऊपर)। लकनी (स्त्री०) लगाम की बल्गा। लङ्गः (पुं०) लंगड़ापन। लङ्गलं (नपुं०) लांगूल जंगली पशु। लङ्ग (अक०) उछलना, मूदना, छलांग लगाना। (जयो०१/७३) चढ़ना, सवारी करना। ०आक्रमण करना, झपट्टा मारना। उल्लंघन करना, अतिक्रमण करना। उपवास करना। ०अवज्ञा करना। लङ्घनं (नपुं०) उपवास, संयमा अनशन, तप का भेद। (जयो० २९/१०) छलांग, उछाल, कूदना। ०चढ़ना, उठना। ०हानि, अपमान। ०अनिष्ठ, क्षति। लङ्गनाशय (वि०) मार्गातिक्रम। (जयो०७० ३/१५) उल्लंघन का अभिप्राय। लवित (भू०क०कृ०) [लङ्घ+क्त] ०उपवासित। ०अवज्ञात। ०अपमानित, अनाहत। उल्लंघन किया गया। ०पार किया गया। लड़ितवती (वि०) अतिक्रमावती (जयो० २२/१०) लछ् (सक०) चिह्न लगाना, देखना। लज् (सक०) छिपाना, ढकना। लज्ज (अक०) लज्जित होना, कलंकित होना, शर्मिंदा होना। (जयो०० ६/१२०) 'कामो न तु लज्जेति' (जयो०वृ० ६/१२०) लज्जा (स्त्री०) [लज्ज्+अ+टाप्] शर्म, त्रपा। (जयो०६/४८) ०लज्जा नामक स्त्री (जयो० १७/२०) शर्मीलापन, शर्मिंदगी। छुईमुई का पौधा। लज्जाकर (वि०) शर्म को प्राप्त हुआ। लज्जाधर (वि०) विनय धारक। लज्जायवती (स्त्री०) लज्जाशीला। (जयो० १७/९२) लज्जालु (वि०) विनयशील, शर्मीला। लजाया हुआ। लज्जालुता (वि०) ह्रीणता, लज्जायुक्त हुआ। (जयो०वृ० १७/२८) लज्जालुभावः (पुं०) अपत्रपा। (जयो० २४/२३) लज्जाविहीन (वि०) लज्जारहित, विनयहीन। (जयो० १७/२०) लज्जासरि (स्त्री०) त्रपापगा। (जयो० १७/७४) लज्जास्पदः (पुं०) लज्जायुक्त। (सुद०८७) लज्जित (भू०क०कृ०) [लज्ज+क्त] विनयशील, शर्मीला। ०लजाया हुआ, शर्मिंदा। लङ्ग (सक०) कलंक लगान, निन्दा करना। ०भूनना, तलना। मारना, नष्ट करना। ०कहना। ०प्रहार करना। लञ्जः (पुं०) [लञ्ज+अच्] पांव, पैर। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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