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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लक्ष्मीक्षः ९०४ __ लघु सम्प्राप्तस्य विसर्गाभावस्य लोपो न भवति, यथा नद्यादिशब्दस्य भवति' (जयो० १३/३५) लक्ष्मीक्षः (पुं०) विष्णु। ०आम्र तरु। ०अहकार। ०भाग्यशाली व्यक्ति। लक्ष्मीकान्तः (पुं०) विष्णु। नृप। लक्ष्मीगत (वि०) धनकोष प्राप्त। लक्ष्मीगृहं (नपुं०) रक्त कमल, पद्म। लक्ष्मीनाथः (पुं०) विष्णु। लक्ष्मीनिवासः (पुं०) धनदेवी का वास। (जयो० ६/१२९) | (जयो० १/४९) लक्ष्मीपतिः (पुं०) विष्णु। ___ सुपारी का पेड़। लक्ष्मीपुत्रः (पुं०) कामदेव, धनिक, धनवान्। लक्ष्मीपुष्पः (पुं०) लाल। लक्ष्मीपूजनं (नपुं०) धन की पूजा। लक्ष्मी अर्चना। लक्ष्मीपूजा (स्त्री०) लक्ष्मी अर्चना। लक्ष्मीफलः (पुं०) बिल्व तरु। लक्ष्मीमति (स्त्री०) सेनापति गङ्गराज की पत्नी। (वीरो० १५/५०) लक्ष्मीरमणः (पुं०) विष्णु। लक्ष्मीवसति (स्त्री०) लक्ष्मी का निकास, पद्म निवास। लक्ष्मीवारः (पुं०) बृहस्पतिवार। लक्ष्मीवेष्टः (पुं०) तारपीन। लक्ष्मीसहजः (पुं०) चन्द्र। लक्ष्य (सं०कृ०) [लक्ष+ ण्यत्] ०दृश्य, पश्य, देखने योग्य। । ०ज्ञातव्य, प्राप्त। चिह्नित, अंकित। संकेतित, अभिज्ञेय। लक्ष्यं (नपुं०) उद्देश्य, चिह्न, निशाना। (सुद० १३५) लक्ष्यक्रम (वि०) प्रत्यक्षज्ञेय। लक्ष्यभेदः (पुं०) निशाना लगाना। उद्देश्य पूर्ति। लक्ष्यवलना (स्त्री०) शरण्य परम्परा, बाणों का लक्ष्य। (जयो०१४/३१) लक्ष्यसुप्त (वि०) उद्देश्यविहीन सोया हुआ, असत्य सोया हुआ। निद्रा की भूमिका वाला। लग् (अक०) लग जाना, चिपकना, मिलना, सम्मिलित होना। लगतु (सुद ५/३) ०लगना, प्राप्त होना। (जयो० १०/२३) लगड (वि०) प्रिय, रमणीय, मनोहर। लगवणं (नपुं०) व्यञ्जन। (जयो०१० २८/३४) लगदलि (पुं०) भ्रमर, भौंरा। (वीरा० ६/३८) लगित (भू०क०कृ०) [लग+क्त] संबद्ध, अनुसक्त, प्राप्त, उपलब्ध। लगुडः (पुं०) मुद्गर, लाठी, लकड़ी। (दयो० ९७) (समु० २/३१) दण्ड, डण्डा। (जयो० २५/४४) लग्न (भू०क०कृ०) [लग्+क्त] जड़ा हुआ, चिपका हुआ। अनुषक्त, संबद्ध। (सम्य० ९०) लग्नः (पुं०) भाट, चारण। लग्नं (नपुं०) संपर्क बिन्दु, शुभ दिन का मुहूर्त। (सम्य० ९०) लग्नकुण्डलकः (पुं०) लग्नस्थान। (जयो०वृ० १७/५६) लग्नदिनः (नपुं०) शुभदिन। लग्ननक्षत्रं (नपुं०) शुभनक्षत्र। लग्न गवत् (वि०) भुंगचिह्न युक्त। (सुद० ३/१६) लग्नमण्डलं (नपुं०) राशिचक्र। लग्नमासः (पुं०) शुभ महीना। लग्नविधि (वि०) शुभविधि। (दयो० ६९) मंगल प्रसंग। लग्नशुद्धिः (स्त्री०) मंगल प्रसंग। लग्निका (स्त्री०) [लग्न कन्+टाप्] लग्नक्रिया। लघिमन् (पुं०) [लघु+इमनिच्] ०हलकापन। कम करना, घटाना, धीमा करना, न्यून करना। तिरस्कार करना, घृणा करना। ०लघुता, नगण्यता। लधिमा (स्त्री०) लघुता, स्वल्पीभाव। (जयो० ४/६१) एक ऋद्धि विशेष, जिस ऋद्धि से वायु के समान अतिशय लघु शरीर किया जा सके। 'वायोरपि लघुतरशरीरता लघिमा' (त०वा० ३/३६) लघिष्ठ (वि०) [अयमेषामतिशयेन-लघु+इष्ठन्] हलके से हलका, बहु लघु। लघीयस् (वि०) [अयमनयो अतिशयेन लघुः ईयमुन] अत्यन्त हलका, बहुत हलका। लघु (वि०) हल्का, अल्प। ०न्यून, तुच्छ, कम। ०हस्व, संक्षिप्त, सामासिक। ०क्षुद्र, तृणप्राय, नगण्य, महत्त्वहीन। नीच, अधम। ०अशक्त, दुर्बल, ओछा। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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