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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra लञ्जा ० पूंछ । ० कच्छा, धोती की लांग । लञ्जा (स्त्री०) [लख+टाप्] ०कच्छा (जयो० ७/४३) ०धार। ० व्यभिचारिणी स्त्री । ० लक्ष्मी। ० निन्द्रा | लञ्जिका (स्त्री०) [लञ्ज+ण्वुल्+टाप्] ० रण्डी, वेश्या (जयो० १३/४०) लट् (अक० ) तुतलाना, क्रंदन करना, रोना । लटः (पुं०) [लट्+अच्] मूर्ख, बुद्ध । ० त्रुटि, दोष । ● लुटेरा | लटकः (पुं०) [लट् + क्वुन् ] ०ठग, धूर्त, छली । लटभ (वि०) सुंदर स्त्री, तरुणी । ● लावण्यमय मनोहर, प्रिय लट्ट (पुं०) दुष्ट, बदमाश । लव (पुं०) [लटे: क्वन्] घोड़ा, अश्व ०नट। ० अलक। ० गैरेया | www.kobatirth.org लड् (अक० ) खेलना, क्रीड़ा करना। लड् (सक०) फेंकना, उछालना। ०कलंक लगाना। ०जीभ लपलपाना, दुलारना, पुचकारना, सताना । लड्डुः (पुं०) लड्डू, मोदक (जयो० ६/ १२१) (जयो० ४/५१) लड्डुकः (पुं०) देखो ऊपर। लड्डुकं (नपुं०) मोदकानि लड्डुकानि च। (दयो० ९५, जयो०वृ० ४/५ ) (जयो०वृ० १२ / ११३ ) लड्डुभक्तिः (स्त्री०) मोदक भक्षण (जयो० २६ / ३८ ) लण्ड् (सक० ) ऊपर उछालना, फेंकना। लण्डं (नपुं० ) [ लण्ड्+घञ् ] विष्ठा, मल। लण्डू (पुं०) लंदन। लता (स्त्री०) [लत+अच्+टाप्] ०बल्ली, बेल, वल्लरी (जयो० १ / ९१ ) ( सुद० ८१) 'जयस्य वाग्वाण्येव वल्लरी लता पल्लविता' (जयो०वृ० १ / ९) ० नवपल्लव युक्त वल्लरी नवपल्लवतो यथा लता शुशुभे साऽऽशु शुभेन वा सता । (वीरो० ६ / ३९ ) ९०६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लतागृहं (नपुं०) लतामण्डप, लताकुंज । लताग्रबुः स्थाङ्घ्रिता (वि०) लता पर चढ़ी हुई। लताग्रे दुष्टतया तिष्ठति स दुःस्थ स चासार्योघ्रतया (जयो०वृ० १४/२७) लताङ्गी (स्त्री०) लता से समान सुकुमार अंगो वाली (जयो० २१/७८) लताजिह्नः (पुं०) सर्प, सांप। लतातरु ( पुं०) साल वृक्ष, नांरगी का पेड़। लतापनसः (पुं०) तरबूज । लताप्रतानं (नपुं०) लतातन्तु, लताविस्तार । (जयो० १/५० ) ० वल्लरी संलग्न (वीरो० ९/४२) • लता झुरमुट - 'लतानां प्रताने गता' (जयो० १४/२५) लताभवनं (नपुं०) लताकुंज। लतामणि: (स्त्री०) मूंगा। लब्ध लतामण्डप (पुं०) लताकुंज, लतागृह । ०लताभवन, ० शीतगृह । लतामय (वि०) अंकुर । लतावल (नपुं०) लता सहित (सुद०२/२५) लतामृग: (पुं०) वानर, बन्दर । लतायावकं (नपुं०) लतागृह, लताकुंज। लतावृक्ष: (पुं०) नारियल का पेड़ । लतावेष्टः (पुं०) रतिबंध, संभोग का एक प्रकार । लतावेष्टनं (नपुं०) आलिंगन, संभोगजनक स्थिति । लतासदनं (नपुं०) लताकुंज । ० ज्ञान प्राप्त किया। ० अवशेष | लति (स्त्री०) आश्रय । ( सुद० ७९ ) लतिका ( स्त्री० ) [ लता + कन्+टाप्] छोटी लता, बेल, वल्लरी। ० मोतियों की लड़ी। लत्तिका (स्त्री०) छिपकली । लप् (नपुं०) बोलना, वार्तालाप करना, कानाफूसी करना। ०दिखलाना, बतलाना। ( सुद० १३६ ) ० दुहराना, बार-बार बोलना। ० मुकरना, मेंटना, झूठ बोल जाना। , लपनं (नपुं० ) [ लप् + ल्युट् ] बोलना, कथन, प्रतिपादन, वार्ता । ० मुख (जयो० १३/५, १३/४०) लपनोमानं (वि०) सुख साधन (सुद० १/२४) लपित (भू०क०कृ० ) [ लप्+क्त] कहा हुआ, बोला हुआ। लब्ध (भू०क० कृ० ) [ लभ्+क्त] ० प्राप्त किया, ग्रहण किया। ०उपलब्ध किया, स्वीकार किया। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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