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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९०३ लक्ष्मीः लः (पुं०) इन्द्र। ०ह्रस्वमात्रा। लक् (सक०) स्वाद लेना, चखना। ०ग्रहण करना, प्राप्त करना। लकः (पुं०) [लक्+अच्] मस्तक, सिर। लकचः (पुं०) बडहर तरु। लकुचाञ्चित (वि०) लीची वृक्ष से युक्त। (वीरो० ७/२५) लकुटः (पुं०) [लक्+उटन्] मुद्गर, सोंटा, दण्ड। लक्तकः (पुं०) लाख, महावर। चिथड़ा, लत्ता, जीर्ण वस्त्र। लक्तिका (स्त्री०) [लक्तक+टाप्] छिपकली। लक्ष (सक०) प्रत्यक्ष करना, जानना, समझना। ०अवलोकन करना, देखना। निरंतर, परखना, ज्ञात करना। ०अंकित करना, चिह्नित करना। प्रकट करना, मनोनीत करना। लक्षं (नपुं०) [लक्ष्+अच्] सौ हजार. लाख। (समु० २/२०) चिह्न, संकेत, निशान। छद्मवेश। लक्षक (वि०) [लक्ष्+ण्वुल] गौण रूप से अभिव्यक्त करने वाला। लक्षकं (नपु०) लाख। लक्षणं (नपुं०) विवक्षित वस्तु को भिन्नता का बोध। परस्परव्यतिकरे सति येनान्यत्वं लक्ष्यते तल्लक्षणम्। (त०वा० २/८) लक्षणं (नपुं०) [लक्ष्यतेऽ नेन लक्ष करणे ल्युट्] चिह्न-'मष्टे शुभलक्षणं सुतम्' (सुद० ३/१) विशेषता, खूबी, आकृति। (जयो० ६/१३) शरदं भुवि वर्षणात् पुनःक्षणवल्लक्षणमेत्य वस्तुनः। (सुद० ३/३२) स्वरूप, परिभाषा, यथार्थ वर्णन। 'तस्मात् सम्यक्त्वमेक स्यादर्थात्तल्लक्षण। दपि' (सम्य० १२२) बोधक चिह्न, संकेत, निशान। (सम्य०८४) नाम, पद, स्थान, अभिधान। कारण, हेतु। चिह्न। (जयो० १/५३) (जयो० २/६) ०बहाना। लक्षणहीन (वि०) विलक्षण। (जयो०७० ६/५४) ०संकेत रहित। लक्षणा (स्त्री०) उद्देश्य, ध्येय। ०शब्द का परोक्षप्रयोग। गौण सार्थकता। ० शब्द की एक शक्ति! मुख्यार्थ वाधे तद्योगे रुढितोऽथप्रयोजनात् अन्योऽर्थो लक्ष्यते यत्सा लक्षणारोपित क्रियाः।। (काव्य ५) लक्षणान्वित (वि०) शुभलक्षणों से युक्त। लक्षणान्विति (स्त्री०) शुभ लक्षण की प्रतीति। सदनेक सुलक्षणान्वितितनयेनाथ, लसत्तमस्थितिः। (वीरो०६/४०) लक्षण्य (वि०) [लक्षण+यत्] शुभ लक्षण वाला। लक्षशस् (अव्य०) [लक्ष+शस्] लाख लाख संख्या में, बड़ी संख्या में। लक्षाधिपः (पुं०) लखपति। (सम्य० १००) लक्षित (भू०क०कृ०) [लक्ष्+क्त] ०अवलोकित, दर्शित। चिह्नित, अंकित। उद्दिष्ट, परिभाषित। परीक्षित। लक्षीकृत् (वि०) प्रत्यक्षीकृत, परीक्षित। (दयो०६०) लक्ष्मण (वि०) शुभ लक्षण युक्त, सौभाग्यशाली, समृद्धिशाली। लक्ष्मणः (पुं०) राम का अनुज लक्ष्मण, दशरथ पुत्र, सुमित्रा तनुज। (समु० ४/१०) (सम्य० ६५) एक औषधि। (जयो०वृ० १३/५९) सारस। लक्ष्मणा (स्त्री०) हंसिनी। लक्ष्मन् (पुं०) [लक्ष्+मनिन्] चिह्न, निशान, विशेषता। अंकन, परिलक्षण। सारस पक्षी। लक्ष्माधर्म (वि.) अधर्म के स्वरूप वाला। (सुद० ४/१२) लक्ष्मीः (स्त्री०) [लक्ष्+ई, मुट्+च] विष्णु पत्नी। (सुद० २/११ हरि रामा (जयोवृ० १४/८८) 'तयोरेका सुता लक्ष्मीरिवाभूदब्धिवेलयोः' (दयो० १/१७) सौभाग्यवती, समृद्धि, धनदेवी, (जयो० ७) सौभाग्य। ० श्री। (जयो०वृ० १२/१३) इन्दिरा। (जयो०१० ५/८७) मोती। हल्दी। प्रियता, लावण्य, सौंदर्य। ०दानस्वभावी, त्यागलक्षणा। 'लक्ष्मीति शब्दस्य प्रथमैकवचने For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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