SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रत्नत्रयाराधनकारिन् रथस्थिति. रलत्रयाराधनकारिन् (वि०) तीन महारत्नों के धारण करने वाले। सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र की आराधना करने वाले। रत्नत्रयाराधनकारिणा वा प्रस्पष्ट मुक्तोचितवृत्तभावा। (सुद० २/३०) रत्नदीपः (पुं०) रत्नजटित दीपक।। रत्नप्रदीपः (पुं०) प्रदीप्त दीपक, प्रज्वलित दीपक। रत्नद्वीपः (पुं०) एक समुद्री द्वीप। (समु० ३/१७) रत्ननिकरः (पुं०) वसुमार, रत्नसमूह। (जयो०वृ० १२/६६) । रत्नपरीक्षकः (पुं०) मणिकार, जौहरी। (जयो० ७/८) रलभूपः (पुं०) प्रमुख राजा। (सुद० २/३९) रलमाला (स्त्री०) तिलकनगर के राजा अतिवेग की रानी प्रियकारिणी की पुत्री। (समु०६/२५) रत्नमुख्यं (नपुं०) हीरा। रत्नराशिः (स्त्री०) रत्नसमूह। सुगुणैरमलैर्गुणितो रत्नैरिव रत्नराशिरिह रम्यः।। (वीरो० ४/५५) रत्नवृष्टिः (स्त्री०) रत्नवर्षा (दयो०९) रत्नसमर्पक (वि०) रत्न प्रदाता। (जयो० १२/५४) रत्नसानु (पुं०) मेरुपर्वत। रत्नसू (स्त्री०) पृथ्वी, धरा, भू, भूमि। रलसूति (स्त्री०) भू, भूमि, ०धरणी, धरत्री। रत्नाकारः (पुं०) समुद्र। रत्नाकरः (पुं०) ०रत्नों की खान। ०समुद्र। रत्नाञ्चित (वि०) रत्नखचित। रलान्वेषणकारि (वि०) रत्नत्रय का अनुसंधान करने वाला। (मुनि० ८) रत्नायुधः (पुं०) नाम विशेष, वज्रायुध कुमार की भार्या रत्नमाला का पुत्र। (समु० ६/२९) रत्नालोकः (पुं०) मणि कान्ति। रत्नावली (स्त्री०) रत्नसमूह। रत्नांशकः (पुं०) रत्ननिर्मित। रत्नों से बना। (वीरो० १९/५) रलिः (स्त्री०) कोहनी। २४ अंगुल का एक हाथ। रत्नोचितद्वीपः (पुं०) रत्नद्वीप। व्यापारकार्यार्थमचिन्त्य धाम, रत्नोचित द्वीप मतो व्रजाम:। (समु० १/३२) रत्यादयिणी (वि०) रति की तरह आदर वाली। (जयो० १७/३५) रथः (पुं०) यान, वाहन, गाड़ी। (दयो० २८) गमनचिह्न, गति। (जयो०६/२८) वेग, गति। (जयो० ६/९८) वेतस्। (जयो० १३/७४) 'रथस्तु स्यन्दने कार्य वेतसे चरणेऽपि चेति' विश्वलोचन: (जयो०वृ० १३/७४) ०अवयव, भाग, अंश, हिस्सा। नायक। ०चरण। स्यन्दन! (जयो०वृ०१३/७४) रथकट्या (स्त्री०) रथ समूह। रथकारः (नपुं०) बढ़ई, सुधार। रथकुटुम्बिन् (पुं०) सारथि, वाहक। रथकूबरः (पुं०) गाड़ी की शहतीरी। रथकूबरं (नपुं०) देखो ऊपर। रथकेतुः (नपुं०) रथ की ध्वजा। रथक्षोभः (पुं०) रथ का हिलना, हिचकोले लेना। रथगर्भकः (पुं०) पालकी, डोली। रथगुप्तिः (स्त्री०) रथ का रक्षा कवच। रथचरणः (पुं०) पहिया, चक्र। रथचर्या (स्त्री०) रथ का संचरण, रथ का घूमना। रथधुर् (स्त्री०) रथ की धुरी। रथधुरी (स्त्री०) यानधुरी। (जयो० ६/१२) ०वाहक। (जयो०६/१२) रथनाभिः (स्त्री०) रथधुरी। रथनीडः (पुं०) रथ का भीतरी भाग। रथबन्धः (पुं०) रथ का साज-समान। रथमण्डलं (नपुं०) रथ समूह। (जयो० १३/३५) 'रथानां मण्डलं समूहः।' रथमण्डलनिस्वनः (पुं०) रथ समूह की ध्वनि। रथानां मण्डलं समूहस्तस्य निस्वनैश्चीत्कारैः' (जयो० १३/३५) रथमहोत्सवः (पुं०) रथोत्सव। रथयात्रा। रथयात्रा (स्त्री०) रथोत्सव। रथयुद्धं (नपुं०) रथ में बैठे हुए युद्ध करना। रथरेणु (स्त्री०) आठ त्रसरेणु का एक रथरेणु। रथवर्मन् (नपुं०) राजमार्ग; मुख्यपथ। रथवाहकः (पुं०) सारथि, चालक। (दयो० ७९) रथवीथिः (स्त्री०) राजमार्ग। रथशक्तिः (स्त्री०) यान शक्ति। रथशाला (स्त्री०) गाड़ीघर, यानशाला। रथस्थलं (नपुं०) यानस्थान। (जयो०१० १/१८) रथस्थितिः (स्त्री०) यान की स्थिति, वाहन की स्थिति। (जयो० २१/२०) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy