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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रक्षस् ८८१ रचनं रक्षस् (स्त्री०) [रक्ष भावे अ+टाप्] ०सुरक्षा, अभिरक्षा। ०चौकसी, पहरा। रक्षासूत्र, रक्षाबन्धन। ०भस्म, राख। ०दण्डनायक। रक्षाकरणं (नपुं०) सुरक्षा करना। (वीरो० १४/३७) रक्षागृहं (नपुं०) प्रसूति गृह। रक्षाधिकृतः (पुं०) अधीक्षक, शासक। रक्षापेक्षकः (पुं०) द्वारपाल, पहरेदार। रक्षापात्रः (पुं०) भोजपत्र। रक्षापालः (पुं०) पहरेदार, चौकीदार, रक्षक, द्वारपाल। रक्षाभूषणं (नपुं०) ताबीज। रक्षामणि (स्त्री०) ताबीज। रक्षाहारः (०) ताबीज। रक्षित (वि०) बचाने वाला। रक्ष्य (वि०) रक्षा करने वाला। रक्ष्यरक्षकः (पु०) पिशाच से रक्षा करने वाला। (जयो०वृ० १५/६३) रघुः (पुं०) [लंघति, ज्ञानसीमान प्राप्नंति-लंघ+कु] एक सूर्यवंशी नृप, दिलीप, पुत्र, अज का पिता। रघुकुलः (पुं०) सूर्यवंश। रघुनंदनः (पुं०) राम। रघुपतिः (पुं०) राम। रङः (वि०) [रमते तुष्यति-रम-का अधम. नीच। गरीब, निर्धन। (जयो० २/१३१) अभागा, बेचारा, असह्यय। (जयो० २/१५७) ०दयनीय। मन्थर। रङ्कः (पुं०) भूखा, व्याकुल। रङ्कः (पुं०) हरिण, कुरंग, कृष्णसार, मृग। रङ्ग (पुं०) [रञ् भावे घञ्] ०वर्ण, लेप, रोगन। रांगा। (जयो० १५/८१) मण्डप (जयो०१२/७६) रंगमंच, नाट्यशाला, नाट्यगृह, आमोदस्थल। (जयो०; सु० १२८) ०सभा भवन। सुरत स्थल। (जयो०० ६/६८) रङ्गं (नपुं०) रांगा, टिन। रङ्गकारः (पुं०) चित्रकार। रङ्गकर्मी (पुं०) चित्रकार, चितेरा। रङ्गजीवकः (पुं०) चित्रकार, रंगवेपक। रङ्गचुरः (पुं०) अभिनेता, नाटक का पात्र। रङ्गजं (नपुं०) सिन्दूर। रतत्त्वं (नपुं०) रात्रिवृत्त। (जयो० १७/११५) रागतत्त्व। रङ्गद्वारं (नपुं०) रंगशाला का द्वार, नाटक की प्रस्तावना, मंगलगीत। रङ्गधरः (पुं०) चित्रकार। रङ्गधर (वि०) रागधारण करने वाला। 'रङ्ग शरीरगत-रङ्गधरं चकार' रङ्गप्र (वि०) रूप रंग प्रतिष्ठायुक्त। (वीरो० १७/२८) रङ्गप्रासादः (पुं०) उच्च भवन, सौधा (जयो०वृ० ११/४९) (सुद० १३६) रङ्गभू (स्त्री०) नाट्यगृह, नाटकघर, रंगभूमि, रंगमंच। (सुद० ४/९) रङ्गभूमिः (स्त्री०) रंगमंच, नाट्यशाला, अभिनय केन्द्र। (दयो०८) (जयो० ५/६०) ०रणक्षेत्र, रणस्थला रङ्गमण्डपः (पुं०) रंगशाला, नाट्यशाला। रङ्गमातृ (स्त्री०) महावर। कुटनी, दूती। रङ्गय (सक०) आलिंगन करना, सजाना। (जयो० १४/८९) रङ्गवाटः (पुं०) अखाड़ा, रंगमंच। रङ्गशाला (स्त्री०) रंगमंच। कला मंडप। रङ्गस्थलं (नपुं०) सुरतस्थल, प्रेम स्थान। (जयो०वृ० ६/६८) रंगमंच, रंगशाला, रंगभूमि। (सुद० १२२) 'नमस्तु रङ्गस्थलम्' (समु० ८/३) रङ्गिणी (स्त्री०) मनोरञ्जिका। (जयो०वृ० ९/६७) रच् (सक०) सुसज्जित करना, विभूषित करना, व्यवस्थित करना। बनाना, निर्माण करना। (रचित (जयो० ५/२३) रचयितुं-सम्पादयितुम् (जयो०वृ० ५/२३) ०सम्पादन करना, ग्रहण करना। लिखना, रचना करना। अलंकृत करना, सजाना। रखना, स्थिर करना। रचनं (नपुं०) विन्यास, तैयारी। ०सन्निवेश, सर्जन करना, उत्पन्न करना। ०सम्पन्नता, पूर्ति, निष्पत्ति। सृजन, निर्माण, संरचना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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