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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रक्ततुण्डः ८८० रक्षणतातिः रक्ततुण्डः (पुं०) शुक, तोता। रक्तशीर्षकः (पुं०) सारस। रक्तदृश् (पुं०) कबूतर। रक्तसन्ध्यकं (नपुं०) लाल कमल। रक्तधातुः (पुं०) गेरु, हरताल, तांबा। रक्तसारं (नपुं०) लाल चंदन। रक्तपः (पुं०) पिशाच, भूत प्रेत। रक्ता (स्त्री०) ०लाख। रक्तपल्लवः (पुं०) अशोक तरु। ___०गुंजा का पौधा। रक्तपा (स्त्री०) प्यासा। (समु० १/१९) रक्ताक्षः (पुं०) भैंसा। ०जोंक। ०कबूतर। रक्तपातः (पुं०) नरहत्या। रक्ताक्षिका (पुं०) भैंस। (सुद० ४/२८) रक्तपाद (वि०) रक्त पैरों वाला। अनुराग युक्त नेत्रवाली। (जयो०वृ० ११/८२) रक्तपादः (पुं०) तोता। ०शुक, कीर। रक्तांगः (पुं०) खटमल। ०युद्धस्था मंगलग्रह। ०हस्ति। रक्ताधिमंथः (पुं०) आंखों की सूजन। रक्तपायिन् (पुं०) खटमल। रक्तांबरः (पुं०) लाल वस्त्रधारी। रक्तपायिनी (स्त्री०) जोंक। रक्ताम्बरं (नपुं०) लाल वस्त्र। रक्तपिण्डं (नपुं०) लाल फुसी। रक्तांबरता (स्त्री०) आकाश की लालिमा। (जयो० १८/५९) रक्तप्रकोपः (पुं०) कोपदेश, क्रोध स्थान। (जयो० १८/२२) 'नानाप्रसक्तिरिति यज्जडेषु तेन रक्ताम्बरत्वमितमर्कमहोदयेन। रक्तप्रभा (स्त्री०) गैरिकाली। (जयो०० १८/६३) गेरुकी (जयो० १८/५९) रक्ताम्बरत्वमाकाशस्यारुणत्वमुत धूलि, लालप्रभा। चार्कमहाशयेन रक्तांबरत्वं रक्तवस्त्रधारकसम्प्रदायित्वम्। रक्तप्रमेहः (पुं०) मूत्र में रक्त आना। (जयो०वृ० १८/५९) रक्तप्रमोक्षणं (नपुं०) खून बहाना। (वीरो० १६/३) रक्तार्बुदः (०) रसौली। रक्तभवं (नपुं०) मांस। रक्ताशोकः (पुं०) लाल फूलों वाला अशोक। रक्तमोचनं (नपुं०) रुधिर आना। रक्ताशयः (पुं०) रक्त के आधार युक्त। रक्तमृत्तिका (वि०) गैरिक मिट्टी। (वीरो० १६/३) रक्तिका (पुं०) गुंजा। रक्तयुक्त (वि०) अनुरक्त, ०अनुराग सहित, स्नेहिल। रक्तिमन् (पुं०) राग। (जयोवृ० १६/४०) ललाई। अनुराग, (जयो०वृ० ६/९३) प्रसन्नता। (जयो० ५/१३) [रक्त इमनिच] रक्तरहित (वि०) अनुराग रहित। (जयो० १६/९३) ०लालिमा | रक्ष (अक०) रक्षा करना, पोषण करना, राज्य करना। रक्षतासि विहीन। ०क्षीण कान्ति वाला। (समु० ४/२२) रक्षत (४/४१) रक्तवटी (स्त्री०) चेचक। रक्ष (सक०) बचाना। आपदर्ते धनं रक्षेद्दारान् रक्षेद्धनैरपि रक्तवत् (वि०) अनुरक्त, (जयो० वृ०५/९३) राग सहित। । (दयो० २/४) रक्तवर्गः (पुं०) ०लाख। रक्षक (वि०) [रक्ष+ण्वुल] रक्षा करने वाला, चौकसी करने ०अनार का वृक्षा वाला, पालन-पोषण करने वाला। (दयो० १/२१) रक्तवर्णः (पुं०) लाल रंग। रक्षकः (पुं०) संरक्षक, पालक, अभिभावक। रक्तवर्णम् (नपुं०) स्वर्ण, सोना। पहरेदार, चौकीदार, संधारक (जयो० ८/१०४) रक्तवर्णा (वि०) दिवानुरागिणी। (जयो० १०/११६) रक्षण (नपुं०) [र+ल्युट्] संधारण, अभिरक्षा, सुरक्षा, बचाव, रक्तवसन (वि०) गेरुए वस्त्र वाला, लाल वस्त्र धारण चौकसी। (जयो० ११/९५) 'कोः पृथिव्या रक्षणे उद्यन्ते' करने वाला। (जयो० १/४५) रक्तवसनं (नपुं०) लाल वस्त्र। गेरिक वस्त्र। रक्षणतातिः (स्त्री०) संरक्षण परम्परा, संधारण रीति। रक्तशासनं (नपुं०) सिन्दूर। (जयो० १३/१०२) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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