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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यौतक ८७९ रक्तजिह्वः यौतक (वि०) [युते विवाहकाले अधिगतं वण] किसी एक व्यक्ति की सम्पत्ति। यौतकं (नपुं०) निजी सम्पत्ति, अपना वैभव। स्त्रीधना यौतवं (नपुं०) [योतु+अण्] एक माप विशेष। यौध (वि०) लड़ने वाला, संग्राम करने वाला। यौन (वि०) [योनितः योनि सम्बन्धात् वा आगतः अण] सोदर। वैवाहिक यौनं (नपुं०) विवाह, मिथुन। यौवतं (नपुं०) [युवतीनां समूह-अण्] युवतीनां समूहो योक्तं तस्मिन् (जयो० १६/५६) तरुणी समुदाय, युवति समूह। (जयो० १४/६) यौवति (स्त्री०) यौवनं (नपुं०) [यूनो भावः अण] तारुण्य, जवानी, तरुणाई। (जयो० ३/४३) नव यौवन रूप-यौवनादिमसरिद्भवः (जयो० ४/१९) वयस्कता, सम्पन्नता। क्रमाच्च सा वाल्यमतीत्य 'यौवनमवाप शापादिव पुण्यमात्मनः। (समु० ४/२६) निधानकुम्भाविव यौवनस्य परिप्लवो कामसुधारसस्य। (सुद० १००) यौवनगत (वि०) युवावस्था को प्राप्त। यौवनपादपः (पुं०) सम्पन्नता युक्त वृक्ष, कोपलादि से समृद्ध वृक्षा (समु० ६/२३) समृद्ध वृक्ष। ०हरित वृक्षा यौवनवती (स्त्री०) तरुणी, युवा स्त्री, तारुण्ययुक्त स्त्री। (वीरो०३/३२, जयो० ३/४२) यौवनवयः (पुं०) युवावस्था (वीरो० २२/८) यौवनहानिः (स्त्री०) युवावस्था की क्षति। (दयो० ५४) यौवनारम्भः (पुं०) तरुण अवस्था का प्रारम्भ। (जयो० ३/५५) यौवनरूप। (जयो०वृ० ११/१०) यौवनारामः (पुं०) तरुणिमोद्यान, तरुण उद्यान, पुष्पों से समृद्ध बगीचा। (सुद० ८६) (जयो० ११/९८) यौवनाश्वः (पुं०) युवनाश्व का पुत्र मान्धाता। यौवराज्यं (नपुं०) [युजराज+ष्यञ्] युवराज पद, युवराज का अधिकार। यौष्माक (वि०) तुम्हारा, आपका। वाचक है। ह्रीकार मध्ये यो रकारः स रक्तवर्णः (जयो०वृ० १९/५१) कामानल, वह्नि-'रस्तु कामानल वह्रौ' इति विश्वलोचनः। (जयो०१५/५४) 'रकारेण कामानलेन सहितः' (जयो०७० १५/५४) रान्त, सुरा। (जयो०वृ० १६/४९) गर्मी, उष्णता। ०प्रेम, इच्छा, वाञ्छा, कामना। गति, चाल। रंह (अक०) जल्दी करना, वेग से चलना। रंह् (अक०) ०बहाना, जाना। ०बोलना। रंहतिः (स्त्री०) [रंह+श्तिप्] वेग, गति। रंहस् (पुं०) [रंह+असुन्] गति, वेग। ०आतुरता, प्रचण्डता, उत्कटता, उग्रता। गृहस्थाश्रामजनिज। (जयो०२४/१४४) रक्त (भू०क०कृ०) [रा करणे क्तः] रंगा हुआ, रागिमा युक्त, लालिमा सहित, लिप्त, सना हुआ। ०अनुरक्त, अनुराग, सानुराग। प्रेमासक्त, स्निहिल। प्रिय, वल्लभ, सराग। (सम्य० १२३) सुहावना, आकर्षक, मधुर, सुखद। रक्तः (पुं०) लाल वर्ण, लाल रंग। ०कुसुम्भ। रक्तं (नपुं०) रुधिर, खून। लोहित वर्ण (जयो० १५/२) ०तांबा, केसर। रक्तक (वि०) लाल। ०अनुराग युक्त। रक्तकण्ठ (वि०) मधुर कण्ठ वाला। रक्तकण्ठिन् (वि०) माधुर्यपूर्ण कण्ठ वाला। रक्तकंदः (पुं०) मूंगा, प्रवाल। रक्तकंदलः (पुं०) प्रवाल, मूंगा। रक्तकमलं (नपुं०) लाल कमल, अरविंद। (जयो०वृ० १५/१) रक्तचंदनं (नपुं०) लाल चन्दन। ०केसर। रक्तचूर्णं (नपुं०) सिन्दूर। रक्तछर्दि (स्त्री०) रुधिर युक्त वमन, खून की उल्टी। रक्तजिह्वः (पुं०) सिंह। र: (पुं०) खर प्रतृयाहार का एक वर्ण, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है। इसे अन्तस्थ में गिना जाता है। रः (पुं०) रकार। रः (पुं०) [रा+ड] ०आग, अग्नि। ०लाल रंग-हींकार में जो 'र' है वह रक्त लाल रंग का For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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