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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाकुन १०५९ शाठ्य शाकुन (वि०) [शकुन+अण] पक्षियों से सम्बंध रखने वाला। ०सगुन सम्बंधी। शाकुनिकः (पुं०) [शकुनेन पक्षिवधादिना जीवति ठञ्] बहेलिया, चिडिमार। शाकनिकं (नपुं०) शकुन का विवेचन। शकुनवक्ता। शाकुनेयः (पुं०) [शकुनि ढक्] छोटा उलूक, घूका। शाकुन्तलः (पुं०) [शकुन्तला+अण्] भरत का मां के नाम से सम्बोधित शब्द। शाकुन्तलं (नपुं०) महाकवि कालिदास का प्रसिद्ध नाटक, जिसमें राजा दुष्यंत और शकुन्तला के प्रेम प्रसंग एवं वियोग का मार्मिक चित्रण हुआ है। इसमें राजा दुष्यंत, मंत्री संस्कृत का प्रयोग करते हैं और अन्य जनसामान्य से जुड़े पात्र प्राकृत भाषा का प्रयोग करते हैं। शकुन्तला, उसकी सखियां शौरसेनी प्राकृत का प्रयोग करती हैं। लव और कुश भी मातृ रूप शौरसेनी भाषा का प्रयोग करते हैं। मछुआरा मागधी प्राकृत का प्रयोग करता है। -'अभिज्ञानशाकुन्तलं नाम से प्रसिद्ध नाटक दृश्यकाव्य की उच्चतम अभिव्यक्ति है। शाकुलिकः (पुं०) [शकुल+ठक्] मछुआरा, मल्लाह। शाक्करः (पुं०) [शक्कर+अण्] वृषभ, बैल, बलिवर्द। शाक्ति (स्त्री०) दिव्य शक्ति युक्त व्यक्ति। शक्तिकः (पुं०) [शक्ति+ठक्] शक्ति पूजक। शाक्तीकः (पुं०) [शक्ति ईकक्] भालाधारी, बीयुक्त व्यक्ति। शाक्तेयः (पुं०) शक्ति का उपासक। शाक्यः (पुं०) [शक्+घञ्] बुद्ध। शाक्यभिक्षुकः (पुं०) बौद्ध भिक्षु। शाक्यमुनिः (पुं०) बुद्ध, गौतमबुद्ध। शाक्री (स्त्री०) [शक्र+अण्+ ङीप्] शची, इन्द्राणी। दुर्गादेवी। शाखा (स्त्री०) [शाखति गगनं व्याप्नोति शाख्+अच्+टाप] डाली, शाखा, टहनी। (सुद०२/१५) 'समुच्छलच्छाखतयाऽय वीनां कलध्वनीनाभृशमध्वनीनान्। (सुद० १/१७) 'शाखा यथा कल्पमहीरहस्य' (समु० ६/१८) एकस्य वृक्षस्य भवन्ति शाखा, विधोरनेका अथवा विशाखा। (समु०६/१९) ० भुजा। ०दल, अनुभाग, हिस्सा। उपभाग, सम्प्रदाय, पथ, परम्परा। ०वेद ऋचाओं का पाठ। शाखानगरं (नपुं०) नगर परिसर, नगर का उपभाग। शाखाग्रभागः (पुं०) शाखा का कोंपल भाग। (जयो० ११) वृक्ष की शाखा का अग्रभाग/ऊपरी भाग। शाखाचारः (पुं०) शाखाभाग। शाखाया आचरणं स्वकुलचरणरूप निर्वहणं। (जयो० १२/१७) शाखापदं (नपुं०) दलभाग। शाखापित्तः (पुं०) कन्धादि भाग। शाखाभृत् (पुं०) वृक्षा शाखाभेदः (पुं०) शाखाओं में अंतर। शाखाभृगः (पुं०) लंगूर, वानर, बन्दर। गिलहरी। शाखारण्डः (पुं०) पंथ को बदलना। शाखालः (पुं०) [शाखा+ला+क] बेंत, बानीर। शाखिन् (वि०) [शाखा इनि] शाखाधारी, पंथ धारी। टहनीमय। शाखिनि-प्रवह्न (वि०) शाखाओं पर कुठार घात। 'शाखिनि-प्रवहन्नन्ते कुठारः केवलं करे।' (सम्य० १४२) शाखिपदं (नपुं०) वृक्षस्थान। 'दृष्ट्वा विवादमिह शाखिपदेषु नाना' (जयो० १८/६१) 'शाखिनां वृक्षाणां पदेषु स्थानेषु यद्वा' (जयो०वृ० १८/६१) शाखिशाखा (स्त्री०) वृक्ष की शाखा। (दयो० ११२) शाखोटः (पुं०) [शाख+ओटन] एक वृक्ष विशेष। शाखोटकः (पुं०) एक वृक्ष विशेष। शाङ्करः (पुं०) वृषभ, बैल। शाङ्करिः (पुं०) [शङ्कर+इञ्] कार्तिकेय, गणेश। अग्नि । शङ्खिकः (पुं०) [शङ्ख+ठक्] शंखकार। शाटकः (पुं०) [शट्+कन्+घञ्] अधोवस्त्र। शाटकं (नपुं०) [शट+कन्+ल्युट्] साड़ी, वस्त्र, कपड़ा। (सुद० ४/३१) शाटिका (स्त्री०) साड़ी। शाटी (स्त्री०) साड़ी। (सुद० ४/३१) (समु०५/१८) दुकूल, दुपट्टा। (जयो०१३/५६) बुर्का, आवरणवस्त्र। (जयो०१५/२७) कापीन वापी सरसा सुवृत्ता, मुद्रेव शाटीव गुणैकसत्ता। (सुद २/६) शाटी (वि.) शर्मसम्पन्न, वधक:। (जयो० ३/३९) शाठ्य (वि०) [शठ+ष्यञ्] बेईमानी, छल, कपट, चालाकी, जालसाजी। ०धूर्तता। शारिला (जयो०११) 'शारिखपादमिह शाति For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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