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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शस्त्रोपजीवित १०५८ शाकिनी शस्त्रोपजीवित (वि०) क्षत्रिय। (जयो० २/१११) (जयो०७० २/४१) शस्त्रोपयोगिन् (वि०) शस्त्र उपयोग करने वाला। शस्त्रोपयोगिने शस्त्रमयं विश्वं प्रजायते। शस्त्रं दृष्ट्वाऽप्यभीताय स्पृहयामि महात्मने। (वीरो० १०/३३) शस्यं (नपुं०) [शस्+यत्] धान्य, अन्न (समु० १/७) (वीरो०२/६, सम्य० ४७) शस्यात्म-सम्पत्समवायिनस्तान् स्वर्गप्रदेशान्मनुते स्म शस्तान्। (सुद० १/३०) शस्य (वि०) भविष्य (सुद० २/२८) ०ख्यात, प्रसिद्ध। (जयो०१/७६) भालानलप्लुष्टमुमाधवस्य स्वात्मानमुज्जीव यतीति शस्यः।। (जयो० १/७६) शस्य:-ख्यात (जयो०वृ० १/७६) प्रशंसनीय-'स्याद्वाच्यता वा नकुलस्य यस्य ख्यातश्च सद्भि सहदेवशस्यः। (जयो०१/१८) देवैः शस्यः प्रशंसनीय सन्' (जयो० १/१८) शस्यतम (वि०) प्रशस्ततम, श्रेष्ठतम्। अनुचानत्वमापन्ना स्त्रीषु शस्यतमा मता (वीरो० ८/३९) शस्यतमस्वभावः (पुं०) प्रशंसनीय स्वभाव। (जयो० ११/७१) शस्यतिलाङ्क: (पुं०) प्रशस्त चिह्न, सामुद्रिक शास्त्रानुकूल चिह्न। 'पश्यति शस्यतिलाङ्के नश्यतु तृष्णाप्यभुष्यारम्। (जयो० ६/२१) 'शस्यः सामुद्रिक शास्त्रानुकूल प्रशंसाहस्य। तिलस्याङ्कश्चिह्नो यस्यः सा। (जयो०वृ० ६/२१) शस्यद्युतिः (स्त्री०) मनोहरकान्ति। (जयो० जयो०६/४२) शस्यपूर्णः (पुं०) धान्य से परिपूर्ण। (दयो० १६) शस्यभक्षक (वि०) धान्य भक्षक, अन्नाहारी, शाकाहार युक्त। शस्यमञ्जरी (स्त्री०) धान्य का बाल, धान्य के पुष्प गुच्छ। शस्यमालिन् (वि०) हरे भरे खेत वाला। शस्यवाक् (नपुं०) मञ्जुलवचन, शस्यवाक् (वि०) मञ्जुभाषिणी। (जयो० ११/५२) शस्यवृत्तिः (स्त्री०) प्रशंसनीय चेष्टा। (जयो० २२/७) धान्य सहित वृत्ति। (जयो० वृ० २२/७) शस्यशालिन् (वि०) धान्य से परिपूर्ण। शस्यशूकं (नपुं०) धान्य भूषी। शस्यसंपद् (स्त्री०) धान्य सम्पदा, अनाज की व्यापकता। शस्यसंपन्न (वि०) धान्य से परिपूर्ण। शस्यशम्बरः (पुं०) शाल वृक्ष। शस्याङ्करं (नपुं०) धान्य के अंकुर, घास के अंकुर। (समु० १/२६) शस्यात्मसम्पद् (वि०) धान्य से सम्पन्न। (सुद० १/२०) शाकः (पुं०) [शक्यते भोक्तुं-शक्+घञ्] शाक, साग-सब्जी, ___ हरी सब्जिया। (जयो० १२/११५, सुद० ४/३४) शाकं (नपुं०) शाकः (पुं०) सामर्थ्य, शक्ति, ऊर्जा, बल। सागौन वृक्ष, शिरीष वृक्ष। कर्कदू (जयो०वृ० ६/९६) शाकाहार। (दयो० ३८) समस्ति शाकैरपि यस्य पूर्तिर्दग्धोदरार्थे कथमस्तु जूर्तिः। (दयो० ३८) शाकचुक्रिका (स्त्री०) इमली। शाकट (वि०) गाड़ी सम्बंधी। शाकटायनः (पुं०) एक वैयाकरण। शाकाटिक (वि०) गाड़ी सम्बंधी। शाकतरु (पुं०) सागौन। शाकपणः (पुं०) अल्प शाक-भाजी। शाकपार्थिवः (पुं०) नाम चलाने वाला व्यक्ति। शाकपिण्डः (पुं०) शाकाहार। (दयो० ३८) शाकप्रति (अव्य०) थोड़ा सी वनस्पति। शोकयोग्यः (पुं०) धनिया। शाकल (वि.) [शकल+अण] टुकड़े से सम्बन्धित। शाकलः (पुं०) ऋग्वेद की एक शाखा। शाकलप्रातिशाख्यं (नपुं०) ऋग्वेद का प्रातिशाख्य। शाकलष (वि०) शाक के टुकड़ों पर पेर भरने वाला। 'शाकस्य लवैः कतिपयैग्रासैरपि पर्यत परितं भवति'। (जयो० २६/१६) शाकलशाखा (स्त्री०) ऋग्वेद का पाठ विशेष। शाकल्यः (पुं०) [शकलस्यापत्यम] एक प्राचीन वैयाकरण। शाकारी (स्त्री०) शकार द्वारा बोली गई भाषा। प्राकृत भाषा का एक रूप, जिसमें र का ल एवं श-श, स-श एवं ष-श अर्थात् श, स, ष का श प्रयोग होता है। मृच्छकटिक' में इनका प्रयोग विशेष रूप से हुआ है। शाकाहारः (पुं०) साग, फलादि का आहार। (दयो० ३८/ ) शाकिनं (नपुं०) [शाक+इनच्] शाक जैसा। शाकिनी (स्त्री०) [शाकिन्+ङीप्] साग-भाजी-का खेत। एक पिशाचिनी। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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