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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशोधिन् १००४ विश्लेषित सौंपा गया। विशोधिन् (वि.) [विशेषेण शोधिर्विशोधि:] प्रायश्चित्त वाला। (दयो० १८) * अवरोध, * गति विराम। विशोधिनी (स्त्री०) नाशिनी, प्रक्षालिनी। (हस्त० ५७) । * बन्द किया गया, रोका गया। विशोध्य (वि०) [वि+क्षुध्+ण्यत्] पवित्र किये जाने योग्य, * रुकावट। (जयो० १/११) __ शुद्ध किये जाने योग्य। विश्रान्तिः (स्त्री०) [वि+श्रम्+क्तिन्] * आराम, विश्राम, विराम, विशोषणं (नपुं०) [वि+शुष्+ल्युट्] सुखाना, शुद्ध करना, रोक। (वीरो० ५/३४) प्रमार्जन करना। * क्रिया रहित। (जयो०वृ० १/९४) विशोषय् (सक०) सुखाना. शुद्ध करना। (जयो० १२/२८) | विश्रान्तिगृहं (नपुं०) आराम गृह। विश्रणनं (नपुं०) [वि+श्रण+ल्युट्] * प्रदान करना, समर्पण | विश्रान्तिशून्यः (वि०) अविराम, गति युक्त। (जयो०१० २३/६१) करना, सौंपना। विश्रामः (पुं०) [वि+श्रम्+घञ्] क्रिया रहित। (जयो० १/९४) * उपहार, दान, भेंट। * आराम, विराम, रुकना, ठहरना। (जयो०७० ७/४६) विश्रब्ध (भू०क०कृ०) [वि+श्रम्भ+क्त] * बन्द किया गया, * केलि, क्रीड़ा। * शान्ति, सौम्यता, एकाग्रता, स्थिर होना, थकान दूर * विश्वस्त, निडर। करना। (मुनि०६) - * निश्चल. सौम्य, शान्त। विश्रामगृहं (नपुं०) आराम गृह। * दृढ़ स्थिर विश्रामशैलः (पुं०) क्रीड़ापर्वत, केलिगिरि। (वीरो० २/११) * नम्र, विनीत। प्राच्याः प्रतीची व्रजतोऽब्जपस्य विश्रामशैला इव भान्ति विश्रब्धं (नपुं०) विश्वासपूर्वक, निर्भीकता के साथ। तस्य। (वीरो०२/११) विश्रम् (अक०) ठहरना, रुकना, विराम लेना। (जयो० २/१२३) | विश्रावः (पुं०) [वि+श्रु+घञ्] * बहना, टपकना, झरना। विश्रमः (पुं०) [वि+श्रम्+अप] आराम, विश्रान्ति। ___ * ख्याति, कीर्ति। * विराम. विश्राम। विश्रुत (भू०क०कृ०) [वि+श्रु+क्त] * प्रसिद्ध, प्रख्यात, यशस्वी, विश्रम्भः (पुं०) [वि+श्रम्भ+घञ्] * विश्वास, भरोसा। प्रतिष्ठित। (जयो० २१/६५) * नम्रता, क्रीड़ा कलह, केलिकलह। 'नम्रतायामुत * आकर्णित। (जयो० ६/६२) क्रीडाकलहे परायणाम् विश्रम्भः केलिकहले विश्वासे प्रणये * प्रसन्न, आनन्दित, हर्ष युक्त। वधे' इति विश्वलोचनः' (जयो० १०/४) विश्रुतगुणं (नपुं०) उन्नत गुण। (सुद० ३/६) * विराम, विश्रान्त। विश्रुतिः (स्त्री०) [वि+श्रु+क्तिन्] प्रसिद्ध, ख्याति, कीर्ति, * आराम, विश्राम। यश, प्रतिष्ठा। • स्नेह युक्त। विशलथ (वि०) [विशेषण श्लथः] शिथिल, ढीला, खुला हुआ। * रहस्य। * स्फूर्ति रहित। * वध, हत्या, हनन। * निष्प्रभ, कान्तिहीन। विश्रम्भभाषणं (नपुं०) गुप्त वार्तालाप। विश्लिष्ट (भू०क०कृ०) [वि+श्लिष्+क्त] वियुक्त, पृथक्कृत, विश्रम्भ भूमिः (स्त्री०) विश्वास करने योग्य स्थान। अलग हुआ। विश्रम्भस्थानं (नपुं०) विश्वस्त, विश्वसनीय व्यक्ति। विश्लेषः (पुं०) [वि+श्लिष+घब] * अलगाव, वियोजन। विश्रयः (पुं०) [वि+श्रि+अच्] * शरण, आश्रय, आधार * वियोग, विछोह। भूतस्थल। - * अभाव, हानि, क्षति। विश्रवस् (पुं०) पुलस्त्य के पुत्र का नाम, रावण के पिता। * छिद्र, दरार। विश्राणित (भू०क०कृ०) [वि+श्रण+णिच्+क्त] समर्पित, प्रदत्त | विश्लेषणं (नपुं०) भिन्न-भिन्न करना। (वीरो० १८/२२) दिया गया। विश्लेषित (भू०क०कृ०) [वि+श्लिष् णिच्+क्त] वियुक्त, विश्रान्त (भू०क०कृ०) [वि+श्रमृ+क्त] * विश्राम, आराम पृथक्कृत, अलग किया हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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